बढ़ चलो ए जिंदगी


बढ़ चलो ए जिंदगी
                            
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हर अँधेरे को मिटाकर बढ़ चलो ए जिंदगी
आगे बढ़कर ही तुम्हारा पूर्ण स्वप्न हो पायेगा.




गर उलझकर ही रहोगी उलझनों में इस कदर,
डूब जाओगी भंवर में कुछ न फिर हो पायेगा.




आगे बढ़ने से तुम्हारे चल पड़ेंगे काफिले,
कोई अवरोध तुमको रोक नहीं पायेगा.


तुमसे मिलकर बढ़ चलेंगे संग सबके होसले,
जीना तुमको इस तरह से सहज कुछ हो पायेगा.


संग लेकर जब चलोगी सबको अपने साथ तुम,
चाह कर भी कोई तुमसे दूर ना हो पायेगा.


जुड़ सकेंगे पंख उसमे आशा और विश्वास के ,
''शालिनी'' का नाम भी पहचान नयी पायेगा.


      भारतीय हॉकी टीम के हौसले बुलंद करने में लगी शिखा कौशिक जी की एक शानदार प्रस्तुति को यहाँ आप सभी के सहयोग हेतु प्रस्तुत कर रही हूँ आशा है आप सभी का इस पुनीत कार्य में शिखा जी को अभूतपूर्व सहयोग अवश्य प्राप्त होगा.उनकी प्रस्तुति के लिए इस लिंक पर जाएँ-


हॉकी  हमारा राष्ट्रीय खेल 
        
            शालिनी कौशिक 




  

टिप्पणियाँ

सदा ने कहा…
सार्थकता लिए सराहनीय प्रयास ... बहुत ही बढि़या प्रस्‍तुति।
रविकर ने कहा…
बहुत खूब शालिनी जी ।
भावपूर्ण चेताती ही रचना ।।
उत्साहपूर्ण पुकार..
Sunil Kumar ने कहा…
जोश से भरी रचना अच्छी लगी बधाई
Brijendra Singh ने कहा…
प्रोत्साहन से भरपूर ये आह्वाहन निराला है..
Rachana ने कहा…
संग लेकर जब चलोगी सबको अपने साथ तुम,
चाह कर भी कोई तुमसे दूर ना हो पायेगा.

bahut khoob
rachana
तुमसे मिलकर बढ़ चलेंगे संग सबके होसले,
जीना तुमको इस तरह से सहज कुछ हो पायेगा.


संग लेकर जब चलोगी सबको अपने साथ तुम,
चाह कर भी कोई तुमसे दूर ना हो पायेगा.

हम भी साथ हैं।
शुभकामनाएं।
बेनामी ने कहा…
ummdaa...
josh se bharpur kavita
Udan Tashtari ने कहा…
अति उत्तम...उत्साहित करती.
पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...

....... रचना के लिए बधाई स्वीकारें...!!!
Rekha Joshi ने कहा…
bahut hi badiya josh se bhri hui rachna.badhaai

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