धिक्कार तुम्हे है तब मानव ||

धिक्कार तुम्हे है तब मानव ||


                                                  
आंसू न किसी के रोक सके धिक्कार तुम्हे है तब मानव |
खुशियाँ न किसी को दे सके धिक्कार तुम्हे है तब मानव ||

ये जीवन परोपकार में तुम गर लगा सके तो धन्य है ,
गर स्वार्थ पूर्ति  में लगे रहो धिक्कार तुम्हे है तब मानव ||

जब बनते खुशियाँ लोगों की सच्ची खुशियाँ तब पाते हो ,
जब छीनो  चैन  किसी का भी धिक्कार तुम्हे है तब मानव ||

न छीनो हक़ किसी का तुम जो जिसका  है उसको दे दो ,
जब लूटपाट मचाते  तुम धिक्कार तुम्हे है तब मानव ||

जब समझे गैर को तुम अपना तब जग अपना हो जाता है,
करते जब अपने को पराया  धिक्कार तुम्हे है तब मानव ||

लायी "शालिनी"धर्मों से  कुछ बाते तुम्हे बताने  को,
न समझ  सके गर अब   भी तुम धिक्कार तुम्हे है तब मानव||

                                                शालिनी कौशिक 
                                                       {कौशल }

टिप्पणियाँ

kshama ने कहा…
Bahut sundar rachana...
धिक्कार काहे हो मानव को,मानव हो मानव जैसा.
खुशिया दूसरों की लूट रहे, दिखता है दानव जैसा,,,,,,

RECENT POST...: दोहे,,,,
अत्यन्त ही प्रभावी रचना..
शिवोमय साहित्य को बढावा,साधुवाद!
सत्य को बनाये रखना |
यथार्थ को परखना ||
नहीं है कोई दिखावा, साधुवाद !!
Sniel Shekhar ने कहा…
very straight to the point..
Congratulations
सदा ने कहा…
जब बनते खुशियाँ लोगों की सच्ची खुशियाँ तब पाते हो ,
जब छीनो चैन किसी का भी धिक्कार तुम्हे है तब मानव ||
वाह ... बेहतरीन ।
ANULATA RAJ NAIR ने कहा…
वाह....

बहुत बढ़िया रचना शालिनी जी.
बहुत खूब..

अनु
दीपक बाबा ने कहा…
आपके समक्ष एक गुजारिश ले कर आया हूँ,
डॉ अनवर जमाल अपने ब्लॉग पर महिला ब्लोग्गरों के चित्र लगा रखे कुछ ऐसे-वैसे शब्दों के साथ. LIKE कॉलम में. उससे कई बार रेकुएस्ट कर ली पर उसके कान में जूं नहीं रेंग रही. आप विद्वान ब्लोगर है, मैं आपसे ये प्राथना कर रहा हूँ

कि उसके यहाँ कमेंट्स न करें,
न अपने ब्लॉग पर उसे कमेंट्स करेने दें.
न ही उसके किसी ब्लॉग की चर्चा अपने मंच पर करें,
न ही उसको अनुमति दें कि वो आपकी पोस्ट का लिंक अपने ब्लॉग पर लगाये,

उनको समझा कर देख लिया. उसका ब्लॉग्गिंग से बायकाट होना चाहिए. मेरे ख्याल से हम लोगों के पास और कोई रास्ता नहीं है.
Satish Saxena ने कहा…
सही है ...
धिक्कार है !
रविकर ने कहा…
सही बात |
ऐसा ही हो रहा है |
प्रभावी प्रस्तुति ||
आभार ||
Unknown ने कहा…
सीख देती सुंदर रचना |
virendra sharma ने कहा…
बढ़िया ,बहुत बढ़िया ,विचार परक प्रस्तुति .
कृपया यहाँ भी पधारें -

शुक्रवार, 6 जुलाई 2012
वो जगहें जहां पैथोजंस (रोग पैदा करने वाले ज़रासिमों ,जीवाणु ,विषाणु ,का डेरा है )नै सामिग्री जोड़ी गई है इस आलेख/रिपोर्ट में .
Bhola-Krishna ने कहा…
सच कहा आपने लेकिन इस रोग का इलाज है :

मानव से मानव करे प्यार, होवे जन जीवन का सुधार ,
सब धन्य बनें ,कहना न पड़े 'धिक्कार' मनुज को बार बार

श्रीमती डॉक्टर कृष्णा एवं vns 'भोला'

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