ऐसा हादसा कभी न हो

ऐसा हादसा कभी न हो 


१२ जुलाई 2012 -अमर उजाला समाचार पत्र एक ऐसे हादसे की भयावहता से भरा था जो हम सभी के रोंगटे खड़े करने के लिए काफी है.
समाचार था "गैस रिसाव से हुआ वैन  हादसा -पंद्रह  मिनट तक  चली जिंदगी और  मौत  की जंग "
कांधला {प्रबुद्ध नगर}में दिल्ली यम नौत्री  मार्ग पर एलम के पास मंगलवार को चंद मिनट में एक वैन परिवार के १४ लोगों को लील गयी 
कारण गैस रिसाव .
एक ऐसा हादसा जो हम सभी को झकझोर कर रख देने वाला है किन्तु केवल उन परिजनों को छोड़ कर जो इस हादसे के बाद अकेले रह गए हैं 
 शायद  ही  कोई  इस हादसे को याद  रखे  किन्तु ऐसे हादसे भूलने के लिए नहीं  होते बल्कि हमें  सबक सिखाने के लिए होते हैं हम जो आये  दिन  ऐसी गाड़ियों का उपयोग   कर रहे हैं जो गैस से चलती हैं और हमारे बच्चे जो विभिन्न स्कूलों  में पढने  जाते  हैं वहां भी ऐसी  ही गाड़ियाँ उन्हें  लाने  ले  जाने  के लिए लगायी  जाती  हैं जो गैस से चलती हैं और उन गाड़ियों  में बच्चे इस कदर  भरे  जा  रहे  हैं कि यदि  दुर्भाग्यवश  ऐसी कोई घटना  घटने  भी  लगे  तो  उन पर बाहर निकलने  की सोचने का भी समय नहीं हो पायेगा .
साथ ही सभी के दिमाग में ये एक बात भी अवश्य आएगी कि क्या पता गैस किट  में ही कोई कमी रही हो जो ऐसा हादसा पेश आया तो इसका जवाब भी समाचार पत्र में दिया गया है कि "'दिल्ली आर.टी.ओ.कार्यालय  से एप्रूव्ड  थी १४ जिंदगियां लीलने वाली वैन"
मैं क्या कोई भी नहीं चाहेगा कि ऐसा हादसा किसी  के साथ हो किन्तु केवल चाहने से कुछ नहीं होता इसके लिए हमें सच्चे मन से प्रयास रत  होना होगा हमें अपनी गाड़ियों में अपनी जिंदगी की सलामती खुद  तय करनी होगी उनकी देख रेख साज संभाल  पर सतर्क होना होगा और साथ ही स्कूलों की वैन की और भी कड़े रुख अपनाने होंगे ताकि हमारे देश का भविष्य भी सुरक्षा के आकाश में साँस ले सके और ऐसे हादसे से उसे दो-चार न होना पड़े.


अंत में यही कहूँगी कि ईश्वर इस तरह जिंदगी से मुहं मोड़ने वाली इन १४ जिंदगियों की आत्मा को शांति दे और उनके परिजनों को सांत्वना और ये गहरा दुःख झेलने की सामर्थ्य.
             शालिनी कौशिक 
               {कौशल} 

टिप्पणियाँ

कई बार लगता है मौत कितनी सस्ती हो गई है आजकल अपने देश में ...
सदा ने कहा…
एक ऐसा सच जो रोंगटे खड़ा कर देने वाला है ... पर जिस पर बीतती है वही जानता है बाकी सब नजरअन्‍दाज़ कर देते हैं ...
मैंने ख़ुद देखा है वैन में भेड़-बकरियों की तरह बच्चों को ठूंसे हुए..वैन से लोग बस का काम लेते हैं..
टेक्निकली unfit गाड़ियों की भरमार है, भारत सड़कों पर...ऐसी गाड़ियों का उपयोग ऐसे ही हादसों को जन्म देगा..लेकिन ट्रांपोर्तेशन डिपार्टमेंट के अधिकायों का क्या जाता है. ५०० रुपल्ली में गाडिया, सारे टेस्ट पास कर जातीं हैं ऐसी गाड़ियां.
दुखद तो है ही यह, लेकिन उससे भी ज्यादा शर्मनाक है..
हादसे अक्सर न चाहते हुए भी हो जाते है,लेकिन अगर सावधानी बरती जाय तो हादसों में कमी जरूर की जा
सकती है,,,,,,

RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
Unknown ने कहा…
अति दुखद
जब हादसा हो जाता है तो बस लकीर पीटते रह जाते हैं .... दुखद घटना
बहुत ही दर्दनाक घटना..

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेरी माँ - मेरा सर्वस्व

हरियाली तीज -झूला झूलने की परंपरा पुनर्जीवित हो.

योगी आदित्यनाथ जी कैराना में स्थापित करें जनपद न्यायालय शामली