सृष्टि में एक नारी,
सृष्टि में एक नारी,
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तब प्रभु ने औजार छोड़कर तूलिका उठाई.
सेवक ने तब प्रभु से पूछा ऐसे क्या रचोगे,
औजारों का काम आप इससे कैसे करोगे?
बोले प्रभु मुझको है बनानी सृष्टि में एक नारी,
कोमलता के भाव बना न सकती कोई आरी.
पत्थर पर जब मैं हथोडी से वार कई करूंगा,
ऐसे दिल में प्यार के सुन्दर भाव कैसे भरूँगा?
क्षमा करुणा भाव हैं ऐसे उसमे तभी ये आयेंगे,
जब रंगों के संग सिमट कर उसके मन बस जायेंगे.
इसीलिए अपने हाथों में तूलिका को थामा,
पहनाने दे अब मेरी योजना को अमली जामा.
शालिनी कौशिक
[कौशल ]
टिप्पणियाँ
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
ram ram bhai
शुक्रवार, 20 जुलाई 2012
क्या फर्क है खाद्य को इस्ट्यु ,पोच और ग्रिल करने में ?
क्या फर्क है खाद्य को इस्ट्यु ,पोच और ग्रिल करने में ?
कौन सा तरीका सेहत के हिसाब से उत्तम है ?
http://veerubhai1947.blogspot.de/
जिसने लास वेगास नहीं देखा
जिसने लास वेगास नहीं देखा
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
आशीष
--
इन लव विद.......डैथ!!!
कुशल करों से ईश्वर के नारी उपजी।
'अब प्रभु को तुलिका की जगह औजार इस्तेमाल करना चाहिए औरत को बनाने के लिए....'
-----क्यों ?..क्योंकि...
--- कविता तो अच्छी है पर... तस्वीर तस्वीर है सिर्फ दो आयाम वाली ...मूर्ति ..मूर्ति है तीन आयाम वाली....सब समझें...
अब प्रभु को तुलिका की जगह औजार इस्तेमाल करना चाहिए औरत को बनाने के लिए.-
----क्यों ?.....क्योंकि....तस्वीर तस्वीर है सिर्फ दो आयाम वाली ...मूर्ति ..मूर्ति होती है तीन आयाम वाली ....सब समझें ...??
( अरुन शर्मा = arunsblog.in )