पाखंडों का अजगर घूमे ,अपना मुख फैलाकर .

As members prepare for the grand inauguration, ceremonies will take place including various blessings of the temple.

तौबा करते धर्मस्थल में ,भक्त यूँ भीड़ बढाकर ,
पाप काटते रोज़ चढ़ावा ,ज्यादा खूब चढ़ाकर .

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सारे साल है मारे बच्चे ,रखे खूब कमाकर ,
दाई कराये तीर्थ यात्रा बस में लोग बैठाकर .

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खाली हाथ ही जाना मुझको ,बोले ये चिल्लाकर ,
पैसे बीमे के वे खाता ,लोग जो जाएँ जमाकर .

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देता दावत नेताओं को ,बाप का धन लुटाकर ,
विधवा माँ को सबके आगे ,पागल बड़ी दिखाकर .

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इस दुनिया में जिधर भी देखो ,अपनी आँख घुमाकर,
पाखंडों का अजगर घूमे ,अपना मुख फैलाकर .

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                      शालिनी कौशिक 
                          [कौशल ]

टिप्पणियाँ

Bhola-Krishna ने कहा…

मानवता का कोई धर्म ,कोई मत, कोई सम्प्रदाय पाखंड से अछूता नहीं है ! आपने सत्य कहा कि

इस दुनिया में जिधर भी देखो ,अपनी आँख घुमाकर,
पाखंडों का अजगर घूमे ,अपना मुख फैलाकर .---

बुद्धजीवियों को इससे मुक्ति की राह खोजनी है !
vijai Rajbali Mathur ने कहा…
'अर्थशास्त्र' में ग्रेशम का यह सिद्धान्त है कि,'खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है'। आज कल "इस 'अर्थ'पर 'अर्थ' के बिना जीवन का क्या 'अर्थ' है सूत्र ब्रह्म वाक्य बन गया है। यही कारण है कि 'ढोंग-पाखंड' का बोल-बाला है और लोग उसमें मस्त होकर मर (died) जा रहे हैं।
इस दुनिया में जिधर भी देखो ,अपनी आँख घुमाकर,
पाखंडों का अजगर घूमे ,अपना मुख फैलाकर-- ....लोग जानकार भी लोभ में उनके चंगुल में फंसते हैं
latest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!
Naveen Mani Tripathi ने कहा…
bahut hi sundar rachana shalini ji sahi samay sateek tippni ki hai apne .....esi vishay pr kuchh meri bhi prtikriya hai pl blog tk pahuchen .
Kailash Sharma ने कहा…
इस दुनिया में जिधर भी देखो ,अपनी आँख घुमाकर,
पाखंडों का अजगर घूमे ,अपना मुख फैलाकर .

...आज की अवस्था का बहुत सटीक चित्रण...बहुत सुन्दर..
virendra sharma ने कहा…
बढ़िया व्यंग्य है कर्मकाण्ड पर पंडों पर सचित्र .
Darshan jangra ने कहा…
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति.
बेनामी ने कहा…
बेहतरीन प्रस्तुति

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