माफ़ न करना अपनी माँ को ,आना गर्भ में कभी नहीं .


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बेटी मेरी तेरी दुश्मन ,तेरी माँ है कभी नहीं ,
तुझको खो दूँ ऐसी इच्छा ,मेरी न है कभी नहीं .
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नौ महीने कोख में रखा ,सपने देखे रोज़ नए ,
तुझको लेकर मेरे मन में ,भेद नहीं है कभी नहीं .
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माँ बनने पर पूर्ण शख्सियत ,होती है हर नारी की ,
बेटे या बेटी को लेकर ,पैदा प्रश्न है कभी नहीं .
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माँ के मन की कोमलता ही ,बेटी से उसको जोड़े ,
नन्ही-नन्ही अठखेली से ,मुहं मोड़ा है कभी नहीं .
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सबकी नफरत झेल के बेटी ,लड़ने को तैयार हूँ,
पर सब खो देने का साहस ,मुझमे न है कभी नहीं .
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कुल का दीप जलाने को ,बेटा ही सबकी चाहत ,
बड़े-बुज़ुर्गों  की आँखों का ,तू तारा है कभी नहीं .
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बेटे का ब्याह रचाने को ,बहु चाहिए सबको ही ,
बेटी होने पर ब्याहने का ,इनमे साहस है कभी नहीं .
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अपने जीवन ,घर की खातिर ,पाप कर रही आज यही ,
माफ़ न करना अपनी माँ को ,आना गर्भ में कभी नहीं .
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रो-रोकर माँ कहे ''शालिनी ''वसुंधरा भी सदा दुखी ,
बेटी के आंसू बहने से ,माँ रोक सकी है कभी नहीं .
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     शालिनी कौशिक 
            [कौशल ]

टिप्पणियाँ

Shikha Kaushik ने कहा…
bahut sahi likha hai aapne .aabhar
अजय कुमार झा ने कहा…
आज के हालातों में बेटी का दर्द उडेलती हुई बेहतरीन पंक्तियां शिखा जी । सच में आज विकट परिस्थितियां हो गई हैं
" धन पराया हूँ फिर भी मैं ही तो वल्लरी वंश की बढाती हूँ । जन्म लेने दो मुझको मत मारो कल के वैभव की नई थाती हूँ ।मैं हूँ नारी मैं मॉ हूँ बेटी हूँ प्रेम शावक को मैं ही सेती हूँ । मेरी ऑखों में प्रेम पलता है पीर लेती हूँ सुख मैं देती हूँ ।" सुंदर रचना बधाई ।
रविकर ने कहा…
बढ़िया -
सटीक प्रस्तुति
शुभकामनायें आदरणीया -

माफ़ी माता से मिले, पर माता का कृत्य |
माफ़ी के लायक नहीं, करती नंगा नृत्य |
करती नंगा नृत्य, भ्रूण में खुद को मारे |
दे दुष्टों का साथ, हमेशा बिना विचारे |
नरक वास हित मान, पाप तेरा यह काफी |
खोती खुद सम्मान, मिले किस्से अब माफ़ी ??
Unknown ने कहा…
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
कभी यहाँ भी पधारें
http://saxenamadanmohan.blogspot.in/
http://saxenamadanmohan1969.blogspot.in/
Dr. Shorya ने कहा…
वाह , किया बात है, बेहद सुंदर , बेहद मर्मस्पर्शी
कृष्ण-जन्माष्टमी की कोटि कोटि वधाइयां !
नारी वंश नाश पर बहुत सटीक और गंभीर प्रतिक्रया ,सराहनीय !!
बहुत ही सम्वेदना पूर्ण नारी व्न्श्ह्रास पर बात है !
बहुत ही संवेदना पूर्ण नारी ह्रास पर सटीक बात !
बहुत ही स्म्वादाना पूर्ण नारी वंश-नाश पर सटीक बात !!
Arun sathi ने कहा…
मार्मिक पर यथार्थ
Arun sathi ने कहा…
मार्मिक पर यथार्थ
babanpandey ने कहा…
सुन्दर रचना !
यथार्थ ओर तीखापन लिए ... पर सत्य ...

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