man kya kare?
ये मन मछली क्यों तैरती है हवा में,
जबकि मछली का जीवन तो पानी है.
ये क्यों बनाती है हवा में महल,
जबकि धरती तो महलों की रानी है.
यहाँ सोचते हैं सब अपनी ही अपनी,
कहाँ सोचता कोई दूजे की कहानी है .
जो ना काम किसी के आ सकी ,
क्या वो भी कोई जवानी है?
ये दुनिया धन के नशे में डूबी,
ये दौलत के पीछे दीवानी है.
इससे जरा हटकर सोचो,
क्या तुम्हे भी जिंदगी गँवानी है?
जबकि मछली का जीवन तो पानी है.
ये क्यों बनाती है हवा में महल,
जबकि धरती तो महलों की रानी है.
यहाँ सोचते हैं सब अपनी ही अपनी,
कहाँ सोचता कोई दूजे की कहानी है .
जो ना काम किसी के आ सकी ,
क्या वो भी कोई जवानी है?
ये दुनिया धन के नशे में डूबी,
ये दौलत के पीछे दीवानी है.
इससे जरा हटकर सोचो,
क्या तुम्हे भी जिंदगी गँवानी है?
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