"प्रकृति हमारी है ही न्यारी "
नित नूतन उल्लास से विकसित,
नित जीवन को करे आल्हादित ,
नित कलियों को कर प्रस्फुटित ,
लहलहाती बगिया की क्यारी.
प्रकृति हमारी है ही न्यारी.
ऋतुराज वसंत का हुआ आगमन,
सरसों से लहलहाया आँगन ,
खिला चमन के पुष्पों का मन,
और खिल गयी धूप भी प्यारी.
प्रकृति हमारी है ही न्यारी.
ऋतुओं में परिवर्तन लाती,
कभी रुलाती कभी हंसाती,
कभी सभी के संग ये गाती,
परिवर्तन की करो तैयारी,
प्रकृति हमारी है ही न्यारी.
कभी बैसाखी ,तीज ये लाये,
कभी आम से मन भर जाये,
कभी ये जामुन खूब खिलाये,
होली की अब आयी बारी,
प्रकृति हमारी है ही न्यारी.
नित जीवन को करे आल्हादित ,
नित कलियों को कर प्रस्फुटित ,
लहलहाती बगिया की क्यारी.
प्रकृति हमारी है ही न्यारी.
ऋतुराज वसंत का हुआ आगमन,
सरसों से लहलहाया आँगन ,
खिला चमन के पुष्पों का मन,
और खिल गयी धूप भी प्यारी.
प्रकृति हमारी है ही न्यारी.
ऋतुओं में परिवर्तन लाती,
कभी रुलाती कभी हंसाती,
कभी सभी के संग ये गाती,
परिवर्तन की करो तैयारी,
प्रकृति हमारी है ही न्यारी.
कभी बैसाखी ,तीज ये लाये,
कभी आम से मन भर जाये,
कभी ये जामुन खूब खिलाये,
होली की अब आयी बारी,
प्रकृति हमारी है ही न्यारी.
टिप्पणियाँ