शुभकामना देती ''शालिनी''मंगलकारी हो जन जन को .-2013
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अमरावती सी अर्णवनेमी पुलकित करती है मन मन को ,
अरुणाभ रवि उदित हुए हैं खड़े सभी हैं हम वंदन को .
अलबेली ये शीत लहर है संग तुहिन को लेकर आये ,
घिर घिर कर अर्नोद छा रहे कंपित करने सबके तन को .
मिलजुल कर जब किया अलाव गर्मी आई अर्दली बन ,
अलका बनकर ये शीतलता छेड़े जाकर कोमल तृण को .
आकंपित हुआ है जीवन फिर भी आतुर उत्सव को ,
यही कामना हों प्रफुल्लित आओ मनाएं हर क्षण को .
पायें उन्नति हर पग चलकर खुशियाँ मिलें झोली भरकर ,
शुभकामना देती ''शालिनी''मंगलकारी हो जन जन को .
शालिनी कौशिक
[कौशल]
शब्दार्थ :अमरावती -स्वर्ग ,इन्द्रनगरी ,अरुणिमा -लालिमा ,अरुणोदय-उषाकाल ,अर्दली -चपरासी ,अर्नोद -बादल ,तुहिन -हिम ,बर्फ ,अर्नवनेमी -पृथ्वी
टिप्पणियाँ
---श्रीमती पूनम एवं विजय राजबली माथुर
शुभ दिन के साथ शुभकामनाएं
बीते हुये वर्ष का मन पर रहे न कोई भार !!
शुभकामना देती ''शालिनी''मंगलकारी हो जन जन को ...
आपको भी २०१३ की मंगल कामनाएं ...
हमारी
जिज्ञासा का शमन करें .भाषा के परिमार्जित प्रयोग में शालिनी जी का ज़वाब नहीं .शुभाशीष .
हमारी
जिज्ञासा का शमन करें .भाषा के परिमार्जित प्रयोग में शालिनी जी का ज़वाब नहीं .शुभाशीष .
नवा वर्ष 2013 आपको सपरिवार शुभ व मंगलमय हो।
सादर