महंगाई तो महंगाई पर सबसे महंगी हमारी महत्वाकांक्षा

अभी और बढ़ेगी महंगाई

महंगे द‌िन: डीजल, रसोई गैस और केरोसिन के बढ़ेंगे दाम

अभी और बढ़ेगी महंगाई


डीजल के बाद सरकार रसोई गैस और केरोसिन के दाम बढ़ाने जा रही है।

रसोई गैस सिलेंडर की कीमत हर महीने पांच रुपये और केरोसिन के दाम प्रति लीटर पचास पैसे से एक रुपया तक बढ़ाने पर विचार हो रहा है ताकि इन दोनों ईंधनों पर 80,000 करोड़ की सब्सिडी धीरे-धीरे खत्म की जा सकी। [अमर उजाला से साभार ]

महंगाई तो मार ही गयी पर हमारी महत्वाकांक्षा  का क्या. आप सोच रहे होंगे कि  मैं फिर उलटी बात करने बैठ गयी.  समाचार पत्रों में गैस ,डीजल और केरोसिन के दाम बढ़ने की सूचना  प्रमुखता पा रही है .सरकार की जिम्मेदारी जनता जनार्दन के बजट की बेहतरी देखना है ये मैं मानती हूँ और यह भी मानती हूँ कि  सरकार इस कार्य में पूर्णतया विफल रही है किन्तु जहाँ तक सरकार की बात है उसे पूरी जनता को देखना होता है और एक स्थिति एक के लिए अच्छी तो एक के लिए बुरी भी हो सकती है किन्तु हम हैं जिन्हें केवल स्वयं को और अपने परिवार को देखना होता है और हम यह काम भी नहीं कर पाते.
       आज जो यह महंगाई की स्थिति है इसके कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैं .मेरी इस सोच के पीछे जो वजह है वह यह है कि मैं देखती हूँ कि  हमारे क्षेत्र में जहाँ पैदल भी बहुत से कार्य किये जा सकते हैं लोग यदि सुबह को दूध लेने भी जाते हैं तो मोटर सायकिल पर बैठ कर जाते हैं जबकि वे  यदि सही ढंग से कार्य करें तो  मोर्निंग वाक के साथ दूध लाकर अपनी सेहत भी बना सकते हैं.सिर्फ यही नहीं कितने ही लोग ऐसे हैं जो सारे दिन अपने स्कूटर .कार को बेवजह दौडाए फिरते हैं .क्या इस तरह हम पेट्रोल का खर्चा नहीं बढ़ा  रहे और यह हमारी आने वाली पीढ़ी को भुगतना होगा जब उसे वापस साईकिल और बैलगाड़ी पर सवार होना होगा.
ये तो हुई छोटी जगह की बात अब यदि बड़े शहरों की बात करें तो वहां भी लोगों के ऑफिस एक तरफ होने के  बावजूद वे  सभी अलग अलग गाड़ी से जाते हैं और इस तरह पेट्रोल का खर्चा भी बढ़ता है और सड़कों पर वाहनों  की आवाजाही भी जो आज के समय में दुर्घटनाओं का मुख्य कारण है.
     अब आते है गैस के मुद्दे पर जबसे गाड़ियाँ गैस से चलने लगी हैं लोगों का सिलेंडर घर में खर्च होने के साथ साथ गाड़ी में भी लगने लगा है और गैस की आपूर्ति पर भी इसका बहुत फर्क पड़ा है.अब बहुत सी बार घर में चूल्हा जलने के लिए गैस मिलना मुश्किल हो गया है और सरकार के द्वारा गाड़ी के लिए अलग सिलेंडर उपलब्ध करने के बजूद घरेलू गैस ही इस कार्य में इस्तेमाल हो रही है.क्योंकि गाड़ी के लिए मिलने वाले सिलेंडर घरेलू गैस के मुकाबले ज्यादा महंगे होते हैं.
    हम हर कार्य में अपनी जिम्मेदारी से ये कहकर कि  ये सब हमारी जिम्मेदारी नहीं है अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते क्योंकि हम भी इस सब के लिए उत्तरदायी हैं .आजकल ये स्थिति आ चुकी है कि  बच्चा पैदा बाद में होता है उसके हाथ में वाहन  पहले आ जाता है.व्यापार आरम्भ बाद में होता है और गोदाम में भण्डारण पहले आरम्भ हो जाता है क्या ये हमारी जिम्मेदारी नहीं है कि हम भी अपनी ऐसी आदतों पर अंकुश लगायें और देश में समस्याओं से निबटने में सरकार को सहयोग करें.

    शालिनी कौशिक 
     [कौशल ]                           

टिप्पणियाँ

kuldeep thakur ने कहा…
नयी पुरानी हलचल का प्रयास है कि इस सुंदर रचना को अधिक से अधिक लोग पढ़ें...
जिससे रचना का संदेश सभी तक पहुंचे... इसी लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 26/06/2014 को नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है...हलचल में आप भी सादर आमंत्रित है...

[चर्चाकार का नैतिक करतव्य है कि किसी की रचना लिंक करने से पूर्व वह उस रचना के रचनाकार को इस की सूचना अवश्य दे...]
सादर...
चर्चाकार कुलदीप ठाकुर
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Anita ने कहा…
सही कहा है, जनता को अपना रोल निभाना होगा
कविता रावत ने कहा…
सही है सबको अपनी अपनी जिम्मेदारी उठानी होगी
बहुत बढ़िया प्रेरक प्रस्तुति

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