क्या यही हैं आज के समाचार.?
सत्यपाल "अश्क"जी के शब्दों में -
"मांग कर वो घर से मेरे और क्या ले जायेगा,
होगा जो उसके मुक़द्दर का लिखा ले जायेगा.
रास्ते ने मंजिलों को और भी भटका दिया,
सोचते थे मंजिलों तक रास्ता ले जायेगा."
आज सुबह अपनी डायरी में संगृहीत शेरों को देख रही थी कि ये शेर सामने आ गया.पढ़ते पढ़ते लगा कि ये तो आज कल के समाचार पत्रों के अपने उद्देश्य से भटकने की और इंगित कर रहा है.हालाँकि हो सकता है कि उन्होंने यह शेर कुछ और सोच कर लिखा हो किन्तु मुझे यह निम्न चित्रों पर सही लगा पहले आप भी उन्ही पर ध्यान दीजिये-
ये चित्र जो आप देख रहे हैं ये फैशन समारोह कॉलेज के हैं और इन चित्रों से आज के समाचार पत्र भरे हैं.यदि हम समाचार पत्रों के प्राचीन लक्ष्य की और ध्यान दें तो हमें ये साफ तौर पर दिखाई देगा की तब समाचार पत्रों में देश कि ,समाज की ऐसी घटनाओं,समस्याओं की और ध्यान दिया जाता था जो समाज पर गहरे तक असर डालती थी.ऐसी विभूतियों की और ध्यान दिया जाता था जिन से प्रेरणा प्राप्त कर हम जीवन में आगे बढ़ाना सीखें,ऐसे पीड़ितों का हाल प्रस्तुत किया जाता था जिन्हें आम जनता की सहायता की आवश्यकता होती थी.ऐसा नहीं है कि प्रगतिशील पीढ़ी को इसमें स्थान नहीं था किन्तु जैसे चित्रों को अब समाचारपत्रों में स्थान दिया जा रहा है ये मात्र समाचार पत्र का प्रचार दिखाई देता है.समाचार बहुत हैं और चिंतन योग्य स्थितियां भी किन्तु जगह भरने के लिए और समाचार पत्र की बिक्री बढ़ने के लिए उसमे चित्रों की भरमार की जा रही है,सिर्फ यही नहीं कि फैशन के ही चित्र हैं अपितु ऐसे चित्र भी हैं जिन्हें देख कर बहुत से लोगों का तो दिल दहल जाता है.जैसे कि फांसी पर टंगे आदमी का चित्र, जीभ काट कर देवी माँ को चढ़ा रहे आदमी का चित्र,दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति के परिजनों के रोते हुए चित्र अरे भाई इन चित्रों से समाचार पत्र की बिक्री नहीं बढती है समाचार पत्र वही अच्छा माना जाता है जो जनता के समक्ष वे समाचार लेकर आये जो उसे जागरूक बनाये ,देश से जोड़ें, और उसकी समस्याओं को सरकार के सामने लाकर उसकी आँखें खोल उनको निबटाने में सहयोग करे.समाचार पत्र बहुत बड़ी शक्ति हैं और इन्हें अपने में वह शक्ति जाग्रत करनी होगी जो सोयी सरकार को जगा सके और सच को कर्मठता व् ईमानदारी से जनता के समक्ष ला सके.समाचार पत्रों को मानना ही होगा" परवीन रंगीली"का यह कहना उनके बारे में ही है-
"हम समंदर हैं हमें अपना हुनर दिखाना आता है,
हम जिधर चल देंगे रास्ता हो जायेगा."
"हम समंदर हैं हमें अपना हुनर दिखाना आता है,
हम जिधर चल देंगे रास्ता हो जायेगा."
टिप्पणियाँ
हम जिधर चल देंगे रास्ता हो जायेगा."
waah, kitni sahi baat!
http://amit-nivedit.blogspot.com/2010/11/blog-post_22.html
ab gandhi to bikau mal nahi hai to coverage unka kam hai...
बाज़ारवाद ने सारी प्राथमिकतायें बदल दीं हैं और हमें भी !
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत-बहुत धन्यवाद|
कभी फुर्सत मिले तो नाचीज़ की दहलीज़ पर भी आयें-
http://vangaydinesh.blogspot.com/
कृपया इसी टिप्पणी के प्रोफ़ायल से मेरा ब्लाग
सत्यकीखोज देखें ।