दामिनी की मूक शहादत :



दामिनी की मूक शहादत

image photo : Indaian  punjabi village girlimage photo : Indian Village Life
जुर्म मेरा जहाँ में इतना बन नारी मैं जन्म पा गयी ,
जुर्रत पर मेरी इतनी सी जुल्मी दुनिया ज़ब्र पे आ गयी .

जब्रन मुझपर हुक्म चलकर जहाँगीर ये बनते फिरते ,
जांनिसार ये फितरत मेरी जानशीन इन्हें बना गयी .

जूरी बनकर करे ज़ोरडम घर की मुझे जीनत बतलाएं ,
जेबी बनाकर जादूगरी ये जौहर मुझसे खूब करा गयी .

जिस्म से जिससे जिनगी पाते जिनाकार उसके बन जाएँ ,
इनकी जनावर करतूतें ही ज़हरी बनकर मुझे खा गयी .

जांबाजी है वहीँ पे जायज़ जाहिली न समझी जाये ,
जाहिर इनकी जुल्मी हरकतें ज्वालामुखी हैं मुझे बना गयी .

बहुत सहा है नहीं सहूँगी ,ज़ोर जुल्म न झेलूंगी ,
दामिनी की मूक शहादत ''शालिनी''को राह दिखा गयी .
दैनिक  जनवाणी में प्रकाशित 
                                          

शब्दार्थ  :-जुर्म -अपराध ,जुर्रत-साहस  ,ज़ब्र -जुल्म ,जब्रन-जबरदस्ती से ,जर्दम-तानाशाही ,जीनत-शोभा ,जिनाकार-परस्त्री गमन करने वाला ,जानवर-जानवर ,जाहिली -मुर्खता ,जेबी-जेब में रखने लायक ,जूरी -पंचों का मंडल ,जहाँगीर-विश्व विजयी, जानशीन-अधिकारी की अनुपस्थिति में उसके पद पर बैठने वाला व्यक्ति .
       शालिनी कौशिक [एडवोकेट]
            [कौशल]

टिप्पणियाँ

दामनी की शहादत बेकार नहीं जायगी,
निश्चिति एक दिन सहादत रंग लायेगी,,,

बहुत लाजबाब उम्दा प्रस्तुति,,,बधाई

recent post: मातृभूमि,
रविकर ने कहा…
सटीक अभिव्यक्ति ||
कुछ भी अबकी व्यर्थ न जाये।
Sunil Kumar ने कहा…
बहुत सहा है नहीं सहूँगी ,ज़ोर जुल्म न झेलूंगी ,
दामिनी की मूक शहादत ''शालिनी''को राह दिखा गयी .
संवेदनशील रचना ........
Kailash Sharma ने कहा…
जांबाजी है वहीँ पे जायज़ जाहिली न समझी जाये ,
जाहिर इनकी जुल्मी हरकतें ज्वालामुखी हैं मुझे बना गयी .

....बिल्कुल सच...आज नारी को ज्वालामुखी बनना ही होगा..
प्रभावशाली ,
जारी रहें।

शुभकामना !!!

आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।
प्रभावशाली ,
जारी रहें।

शुभकामना !!!

आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़)
आर्यावर्त में समाचार और आलेख प्रकाशन के लिए सीधे संपादक को editor.aaryaavart@gmail.com पर मेल करें।
दामिनी तो सो गई मगर देश को जगा गई!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
लोकेश सिंह ने कहा…
ज्वलंत एवं सामयिक विषय पर सार्थक अभिव्यक्ति
स्त्रियों को अभी लंबा सफर तय करना है। मंज़िल हासिल करने के लिए भी पुरुष का साथ चाहिए।
रश्मि शर्मा ने कहा…
इनकी जुल्मी हरकतें ज्वालामुखी हैं मुझे बना गयी .....ये बदलाव लाजि‍मी है
बहुत सहा है नहीं सहूँगी ,ज़ोर जुल्म न झेलूंगी ,
दामिनी की मूक शहादत ''शालिनी''को राह दिखा गयी .

बहुत खूब ... कभी कभी एक शहादत चिंगारी भडका जाती है ...
सुन्दर पंक्तियाँ ...
manojsah ने कहा…
महिलाओं को अभी भी बहुत बड़ा सफर तय करना है आपका आलेख बेहद बेहतरीन हैhttp://www.jagranjunction.com/
manojsah ने कहा…
स्त्रियों को अभी लंबा सफर तय करना है.. एक बेहतरीन आलएख
Madan Mohan Saxena ने कहा…
जांबाजी है वहीँ पे जायज़ जाहिली न समझी जाये ,
जाहिर इनकी जुल्मी हरकतें ज्वालामुखी हैं मुझे बना गयी .


बहुत सुन्दर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई. बिलकुल ठीक

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेरी माँ - मेरा सर्वस्व

बेटी का जीवन बचाने में सरकार और कानून दोनों असफल

नसीब सभ्रवाल से प्रेरणा लें भारत से पलायन करने वाले