माँ को शीश नवाना है.



होगा जब भगवान् से मिलना हमें यही तब कहना है,
नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है.

माँ ने ही सिखलाया हमको प्रभु को हर पल याद करो,
मानव जीवन दिया है तुमको इसका धन्यवाद् करो.
माँ से ही जाना है हमने क्या क्या तुमसे कहना है,
नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है.

जीवन की कठिनाइयों को गर तुम्हे पार कर जाना है ,
प्रभु के आगे काम के पहले बाद में सर ये झुकाना है.
शिक्षा माँ की है ये हमको तुमको ही अपनाना है,
नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है.

माँ कहती है एक बार गर प्रभु के प्रिय बन जाओगे,
इस धरती पर चहुँ दिशा में बेटा नाम कमाओगे.
तुमसे मिलवाया है माँ ने इसीलिए ये कहना है,
नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है.
               शालिनी कौशिक 

टिप्पणियाँ

माँ की महिमा अपरम्पार..
इससे ज्यादा क्या लिखूं ...
माँ पर अपने विचार.....
माँ की महिमा अपरम्पार
Shikha Kaushik ने कहा…
bahut marmsparshi kavita .aabhar
बहुत सुंदर .....प्रभावित करती रचना
SANDEEP PANWAR ने कहा…
मां तो मां है,
maan ke peron ke niche jnnat hai isliyen jnnt ke aage to shish nvaana hi hai ..akhtar khan akela kota rajsthan
रविकर ने कहा…
एक और पक्ष से आज परिचित हुआ, सुन्दर रचना----

जगत का आधार--माँ :

अपने सुपुत्र को अक्सर
कविता के माध्यम से सन्देश भेजा करता हूँ : यह अद्यतन है---

गर गलत घट-ख्याल आये,
रुत सुहानी बरगलाए
कुछ कचोटे काट खाए,
रहनुमा भी भटक जाए
वक्त न बीते बिताये,
काम हरि का नाम आये-
सीख माँ की काम आये--

हो कभी अवसाद में जो,
या कभी उन्माद में हो
सामने या बाद में हो,
कर्म सब मरजाद में हो
शर्म हर औलाद में हो,
नाम कुल का न डुबाये-
काम हरि का नाम आये-
सीख माँ की काम आये--

कोख में नौ माह ढोई,
दूध का न मोल कोई,
रात भर जग-जग के सोई,
कष्ट में आँखे भिगोई
सदगुणों के बीज बोई
पौध कुम्हलाने न पाए
काम हरि का नाम आये-
सीख माँ की काम आये--
Rajesh Kumari ने कहा…
prabhu se pahle maa ko darja diya dil ko choo gai aapki kavita.sach hai maa me hi saari dunia hai maa me hi bhagvaan hai.
smshindi By Sonu ने कहा…
माँ उच्चारण मात्र से ही असीम वात्सल्य का सुखद अहसास होता है!
Unknown ने कहा…
माँ की महिमा अपरम्पार........

jai baba banaras........
Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…
माँ कहती है एक बार गर प्रभु के प्रिय बन जाओगे,इस धरती पर चहुँ दिशा में बेटा नाम कमाओगे.तुमसे मिलवाया है माँ ने इसीलिए ये कहना है,नमन तुम्हे करने से पहले माँ को शीश नवाना है.
आपकी इस कविता को पढते हुए मुझे माँ की एक बात याद आ गई "जो चीज आपके पास और आप अपनी उमर पूरी कर चुकी हो और अब आपके किसी काम की नहीं है, तो उसे दूसरों के पास जाने दोऔर उनकी सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं!"
बहुत सुन्दर शब्दों में उकेरा है आप ने अपनी भावनाओं को!
ह्रदय की संवेदनाओं को शब्दों में पिरोने का प्रयास किया है.
Suman ने कहा…
bahut sunder rachna .......
Rachana ने कहा…
ma to bas ma hai
aap ne sahi likha hai ki sare jyan ma ne hi diye hain
rachana

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