दलित उत्पीड़न में बिहार चौथे नंबर पर‏


राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष डॉ. पी एल पुनिया ने दलित वर्ग को जारी आरक्षण पर सवाल उठाने वालों की यहां जमकर खबर ली। उन्होंने कहा कि दलित समुदाय के लोगों को जितना हक मिलना चाहिए था, वह अभी तक नहीं मिल सका है। बावजूद इसके लोग उसे बीच में रोके जाने की बात करते हैं। उन्होंने न्यायपालिका में भी एससी-एसटी को आरक्षण दिए जाने की वकालत करते हुए कहा कि एससी-एसटी के उत्पीड़न के मामले में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के बाद बिहार चौथे स्थान पर है। पुनिया रविवार को आयोग द्वारा पटना में आयोजित जागरूकता शिविर में बोल रहे थे। पुनिया ने कहा कि 63 साल की आजादी के बाद यह समाज आज भी गुरबत में है। करीब तीन सप्ताह पूर्व केंद्रीय योजना आयोग द्वारा जारी एक सर्वेक्षण के मुताबिक पूरे देश में जितने भी गरीब हैं, उसमें आधे से अधिक दलित हैं। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी समुदाय के 75 प्रतिशत लोग आज भी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश की कुल आबादी में 16.2 प्रतिशत एससी एवं 8.2 प्रतिशत एसटी समुदाय की आबादी है, लेकिन उनके लिए केंद्र या राज्य स्तर पर नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था को पूरी तरह लागू नहीं की जा रही है। केंद्र में सरकारी नौकरियों में एससी के लिए 15 प्रतिशत और एसटी समुदाय के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है, लेकिन केंद्रीय स्तर पर सचिव संवर्ग के 88 पद होने के बावजूद उसमें एससी समुदाय के एक भी सदस्य को स्थान नहीं दिया गया है। पुनिया ने कहा कि आउटसोर्सिग और अनुबंध के तहत की जा रही बहाली में आरक्षण की व्यवस्था न होने से कर्मियों का शोषण भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इसलिए इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। आयोग इस संबंध में जल्द ही राष्ट्रपति को पत्र भेजेगा। उन्होंने न्यायपालिका में भी एससी-एसटी को आरक्षण दिए जाने की वकालत की। पुनिया ने कहा कि एससी-एसटी के आरक्षण को लेकर अधीनस्थ अदालतों द्वारा जो कथित तौर पर भ्रांतिपूर्ण निर्णय हो जाते हैं उसकी एक रिपोर्ट बनाकर आयोग उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर करने जा रहा है। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी की जनसंख्या के मामले बिहार का देश में 16वां स्थान है, लेकिन इस समुदाय के साथ होने वाले उत्पीड़न के मामले में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के बाद यह चौथे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी को प्राप्त अधिकारों और उन्हें दी जा रही सुविधाओं से इस समुदाय को अवगत कराने के उद्देश्य से आयोग द्वारा देश के कई अन्य प्रदेशों में इस प्रकार का जागरूकता अभियान कार्यक्रम की शुरूआत की गई है और इसका असर दिखने लगा है।
खुशबू(इन्द्री)करनाल
khushbu.goyal16@gmail.com
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टिप्पणियाँ

vidhya ने कहा…
कौशल जी बहुत ही सुन्दर लिखे है |
कागज के और वास्तविकता के आँकड़े भिन्न हैं।
Sunil Kumar ने कहा…
दुर्भाग्यपूर्ण, कब आएगा रामराज्य, सार्थक पोस्ट , आभार
मनोज कुमार ने कहा…
जागरूकता की बहुत ज़रूरत है।
kshama ने कहा…
Sach kah rahee ho!
Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…
बहुत ही बढ़िया लेख और सार्थक पोस्ट
पोस्ट करने के लिए आभार
रेखा ने कहा…
उद्येश्यपूर्ण और सार्थक आलेख
मजे की बात ये है की उत्तर प्रदेश में दलित मुख्य-मंत्री है और वो टॉप पर है ..
ZEAL ने कहा…
daliton ke naam par chalaak raaj kar rahe hain .
Vivek Jain ने कहा…
सुंदर पोस्ट, पर सामाजिक बद्लाव के बिना कुछ नहीं हो सकता,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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