देख लेना तब जिस्म में रूह न रहेगी.
इस कदर धोखे मिलेंगे ज़माने में,
तो ये जिंदगी जिंदगी न रहेगी.
कैसे जी पाएंगे इस ज़माने में ,
जो आपकी नज़रें इनायत न रहेंगी.
तुमको पाने की खातिर दुनिया में,
चाहा अनचाहा बहुत कुछ कर गए.
क्या तुम मिलोगे हमें तब जाकर ,
जब इन चिरागों में रोशनी न रहेगी.
अब तो चाहत है बस यही अपनी ,
तुमको कभी कभी याद आ जाएँ हम .
हमसे मिलने भी आओगे गर तुम,
देख लेना तब जिस्म में रूह न रहेगी.
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टिप्पणियाँ
कई फंस गया होगा दुनिया दारी में--
इतनी शिद्दत से कोई याद कर और बन्दा तवज्जो न दे गलत बात ||
ऐसे में कान -खिंचाई जरुर करना ||
जबरदस्त भाव ||
बधाई शालिनी जी ||
चाहा अनचाहा बहुत कुछ कर गए.
क्या तुम मिलोगे हमें तब जाकर ,
जब इन चिरागों में रोशनी न रहेगी.
Bahut sundar bhav,behatar prastuti
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जीवन का सूत्र...
NO French Kissing Please!
तो ये जिंदगी जिंदगी न रहेगी.
कैसे जी पाएंगे इस ज़माने में ,
जो आपकी नज़रें इनायत न रहेंगी.
bhut khub
vikasgarg23.blogspot.com
gai kidhar ||
fir bhi dubaara badhai ||
चाहा अनचाहा बहुत कुछ कर गए.
क्या तुम मिलोगे हमें तब जाकर ,
जब इन चिरागों में रोशनी न रहेगी....
Brilliant creation Shalini ji !
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देख लेना तब जिस्म में रूह न रहेगी
sundar abhivyakti....achhi lagi....