एनआरआइ बच्चों और भारतवंशियों की युवा पीढ़ी को नया पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी
खुशबु(इन्द्री)
भारत अब विदेशों में बसे भारतवंशियों की जनरेशन नेक्स्ट से दोस्ती बढ़ाने की कोशिश में जुट गया है। एनआरआइ बच्चों और भारतवंशियों की युवा पीढ़ी को भारतीय सभ्यता, संस्कृति से पहचान कराने के लिए सरकार इस कड़ी में एक नया पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी कर रही है। स्टडी इंडिया प्रोग्राम (एसआइपी) के सहारे 18-26 वर्ष के भारतीय मूल के विदेशी युवाओं को देश की कला, धरोहर, इतिहास के अलावा सामाजिक व आर्थिक विकास गाथा से परिचित कराने और इस देश से जुड़ी उनकी जड़ों को नया पानी देने की योजना है। इस कार्यक्रम को शक्ल देने में लगा प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय चार सप्ताह के एसआइपी के लिए विश्वविद्यालयों और बड़े शैक्षणिक संस्थानों की तलाश में जुटा है। मंत्रालय के आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि एसआइपी की अभिकल्पना एक ऐसे पाठ्यक्रम की है जिसे समर स्कूल की तर्ज पर चलाया जा सके। मंत्रालय की प्रस्तावित योजना गर्मियों और सर्दियों की छुट्टी के दौरान साल में दो बार इस पाठ्यक्रम को आयोजित करने की है, जिसमें भारतीय मूल के तीस विदेशी छात्रों का चयन किया जाएगा। मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार एसआइपी में शैक्षणिक और सांस्कृतिक पहलुओं के अलावा छात्रों के अनुभव व यात्रा कार्यक्रम भी शामिल होंगे। शैक्षणिक पाठ्यक्रम में समसामयिक भारत के विकास, राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्थाओं के अलावा सामाजिक और प्रशासनिक तंत्र से भी पहचान कराई जाएगी। इसके अलावा पाठ्यक्रम का सांस्कृतिक पहलू भारतीय पुराण, इतिहास, हस्तकला, नृत्य, संगीत, पाक कला और भाषाओं से भी उनकी पहचान बढ़ाएगा। वैसे प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय इससे मिलती-जुलती एक योजना पहले से चला रहा है जिसका नाम नो इंडिया प्रोग्राम है, लेकिन स्टडी इंडिया प्रोग्राम के सहारे कोशिश इसे पाठ्यक्रम की शक्ल देने की है। उल्लेखनीय है कि प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय विदेशों में बसे एनआरआइ और भारतवंशियों के बच्चों को शैक्षणिक छात्रवृत्तियों की सुविधा पहले से मुहैया करा रहा है। स्कॉलरशिप प्रोग्राम फार डायस्पोरा चिल्ड्रेन की इस योजना के तहत हर साल सौ छात्रवृत्तियां दी जाती हैं। इसके अलावा तकनीकी पाठ्यक्रमों में 15 फीसदी सीटें भी एनआरआइ बच्चों के लिए उपलब्ध हैं।
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khushboo.goyal@gmail.com
लेखिका-खुशबू गोयल
भारत अब विदेशों में बसे भारतवंशियों की जनरेशन नेक्स्ट से दोस्ती बढ़ाने की कोशिश में जुट गया है। एनआरआइ बच्चों और भारतवंशियों की युवा पीढ़ी को भारतीय सभ्यता, संस्कृति से पहचान कराने के लिए सरकार इस कड़ी में एक नया पाठ्यक्रम शुरू करने की तैयारी कर रही है। स्टडी इंडिया प्रोग्राम (एसआइपी) के सहारे 18-26 वर्ष के भारतीय मूल के विदेशी युवाओं को देश की कला, धरोहर, इतिहास के अलावा सामाजिक व आर्थिक विकास गाथा से परिचित कराने और इस देश से जुड़ी उनकी जड़ों को नया पानी देने की योजना है। इस कार्यक्रम को शक्ल देने में लगा प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय चार सप्ताह के एसआइपी के लिए विश्वविद्यालयों और बड़े शैक्षणिक संस्थानों की तलाश में जुटा है। मंत्रालय के आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि एसआइपी की अभिकल्पना एक ऐसे पाठ्यक्रम की है जिसे समर स्कूल की तर्ज पर चलाया जा सके। मंत्रालय की प्रस्तावित योजना गर्मियों और सर्दियों की छुट्टी के दौरान साल में दो बार इस पाठ्यक्रम को आयोजित करने की है, जिसमें भारतीय मूल के तीस विदेशी छात्रों का चयन किया जाएगा। मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार एसआइपी में शैक्षणिक और सांस्कृतिक पहलुओं के अलावा छात्रों के अनुभव व यात्रा कार्यक्रम भी शामिल होंगे। शैक्षणिक पाठ्यक्रम में समसामयिक भारत के विकास, राजनीतिक व आर्थिक व्यवस्थाओं के अलावा सामाजिक और प्रशासनिक तंत्र से भी पहचान कराई जाएगी। इसके अलावा पाठ्यक्रम का सांस्कृतिक पहलू भारतीय पुराण, इतिहास, हस्तकला, नृत्य, संगीत, पाक कला और भाषाओं से भी उनकी पहचान बढ़ाएगा। वैसे प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय इससे मिलती-जुलती एक योजना पहले से चला रहा है जिसका नाम नो इंडिया प्रोग्राम है, लेकिन स्टडी इंडिया प्रोग्राम के सहारे कोशिश इसे पाठ्यक्रम की शक्ल देने की है। उल्लेखनीय है कि प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय विदेशों में बसे एनआरआइ और भारतवंशियों के बच्चों को शैक्षणिक छात्रवृत्तियों की सुविधा पहले से मुहैया करा रहा है। स्कॉलरशिप प्रोग्राम फार डायस्पोरा चिल्ड्रेन की इस योजना के तहत हर साल सौ छात्रवृत्तियां दी जाती हैं। इसके अलावा तकनीकी पाठ्यक्रमों में 15 फीसदी सीटें भी एनआरआइ बच्चों के लिए उपलब्ध हैं।
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लेखिका-खुशबू गोयल
प्रस्तुति-शालिनी कौशिक
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