लगेंगी सदियाँ पाने में .


लगेंगी सदियाँ पाने में ......
न खोना प्यार अपनों का लगेंगी सदियाँ पाने में ,
न खोना तू यकीं इनका लगेंगी सदियाँ पाने में .

नहीं समझेगा तू कीमत अभी बेहाल है मन में ,
अहमियत जब तू समझेगा लगेंगी सदियाँ पाने में .

नहीं बनता ये ऐसे ही कि चाहे जब बना ले तू ,
तू तोड़ेगा ये डूबेगा लगेंगी सदियाँ पाने में .

यकीं और प्यार का रिश्ता बनाया ऊपरवाले ने ,
हुनर पाना जो चाहे ये लगेंगी सदियाँ पाने में .

मिले जब प्यार अपनों का तो भर आती हैं ये आँखें ,
संभालेगा न गर इनको लगेंगी सदियाँ पाने में .

जो आये आँख में आंसू ''शालिनी ''पी जाना तू मन में ,
गिरा गर धरती पर आकर लगेंगी सदियाँ पाने में .
                   शालिनी कौशिक 

टिप्पणियाँ

virendra sharma ने कहा…
लफ्ज़ दो चार कोई वैसे कह जाए ज़माने में ,

गले से मत लगा लेना ,लगें सदियाँ भुलाने में .


मिले जब प्यार अपनों का तो भर आती हैं ये आँखें ,
संभालेगा न गर इनको लगेंगी सदियाँ पाने में .

बहुत बढ़िया अश आर हैं ,दिल पे सीधे करते वार हैं .

बनाके मत बिगाड़े तू ,लगें सदियाँ बनाने में ,

जो टूटा डाल से पत्ता लगें सदियाँ बनाने में .
मिले जब प्यार अपनों का तो भर आती हैं ये आँखें ,
संभालेगा न गर इनको लगेंगी सदियाँ पाने में .
..यह शेर अच्छा अधिक अच्छा लगा।
बहुत गहन भाव..प्रभावी कविता।
शारदा अरोरा ने कहा…
इन भावों को सलाम ...
देवेंद्र ने कहा…
यकीं और प्यार का रिश्ता बनाया ऊपरवाले ने ,
हुनर पाना जो चाहे ये लगेंगी सदियाँ पाने में .
रिश्तों के अहमियत का अहसास दिलाती सुंदर नज्म।
Bhola-Krishna ने कहा…
शालिनी जी
" मिले जब प्यार अपनों का तो भर आती हैं ये आँखें! ,
संभालेगा न गर इनको लगेंगी सदियाँ पाने में !!".
सच कहा है आपने !धन्यवाद आभार !

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