भारतीय भूमि के रत्न चौधरी चरण सिंह



कोई जीना ही जिंदगी समझा ,
और फ़साना बन गया कोई .
अपनी हस्ती मिटाकर ए-अंजुम ,
अपनी हस्ती बना गया कोई .

 सुलक्षणा  'अंजुम' द्वारा कही गयी उपरोक्त पंक्तियाँ अक्षरशः सही प्रतीत होती हैं परम पूजनीय ,किसानों के मसीहा ,दलितों के देवता ,चौधरी चरण सिंह जी पर .२३ दिसंबर १९०२ को  किसान परिवार में जन्मे  चौधरी साहब इस प्रकार आकाश में नक्षत्र की भांति दमकेंगें   ये शायद किसी को पता नहीं था किन्तु ये चौधरी साहब के कर्म व् भाग्य की विशेषता थी कि वे एक साधारण किसान रहने के स्थान पर देश के किसानों की आवाज़ बने .
    आज देश की राजनीति जातियों के घेरे में सिमट कर रह गयी है और भारत जैसा देश जहाँ हिन्दू व् मुस्लिम धर्मों में ही कई जातियां हैं वहां अन्य धर्मों की जातियों का तो हिसाब लगाना ही कठिन है और फिर अगर हम ये सोचें कि हम हिन्दू न होकर पहले ब्राह्मण हैं ,विषय हैं ,जैन हैं ,सैनी हैं ,गूजर हैं ,जाट हैं तो क्या हम प्रगति कर सकते हैं ?इस जातिगत राजनीति और धर्म सम्प्रदायों पर आधारित राजनीति ने चौधरी चरण सिंह के किसान मजदूर तथा गाँव की कमर तोड़ दी है .चौधरी साहब जातिवाद के घोर विरोधी थे .वे इसके विरोध में किसी भी सीमा तक जा सकते थे ,यह उनके सन १९६७ के मुख्यमंत्रित्व काल के समय जारीआदेश से प्रमाणित होता है .उन्होंने शासकीय आदेश पारित किया कि''जो संस्थाएं किसी जाति विशेष के नाम पर चल रही हैं ,उनका शासकीय अनुदान बंद कर दिया जायेगा .''नतीजतन इस आदेश के तत्काल बाद ही कॉलेजों के नाम के आगे से जाति सूचक शब्द हटा दिए गए.
                   आज भारतीय राजनीति जोड़ तोड़ की नीति पर चल रही है वे इसके सख्त विरोधी थे उन्होंने अपनी बात कहने में कभी लाग लपेट से काम नहीं लिया .उनकी बढती लोकप्रियता देख उनके विरोधी बुरी तरह घबरा गए थे और उनके खिलाफ जातिवादी होने ,कभी हरिजन विरोधी होने ,कभी मुस्लिम विरोधी होने आदि का आरोप लगाने लगे थे ,किन्तु चौधरी साहब को न विचलित होना था न हुए .उन्होंने शोषित पीड़ित तबकों तथा किसानों की भलाई के लिए संघर्ष जारी रखा .उनके इसी संघर्ष का प्रतिफल है कि आज लगभग सभी राजनीतिक दल किसानों ,पिछड़ों व् दलितों को न केवल साथ लेकर चलने की बात करते हैं बल्कि उनके साथ होने में गर्व महसूस करते हैं .
               चौधरी साहब ग्राम्य विकास के लिए कुटीर एवं लघु उद्योगों  को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते थे और अर्थव्यवस्था  के विकेंद्रीकरण की बात कहते थे .सन १९८२ में लिखे अपने एक लेख में उन्होंने स्पष्ट रूप में लिखा था -
   ''गरीबी से बचकर समृद्धि की ओर बढ़ने का एक मात्र मार्ग गाँव तथा खेतों से होकर गुजरता है .''

       उन्हें गाँव किसानों व् कमजोर वर्गों से अटूट प्रेम था .इसी कारण उन्हें ''दलितों का मसीहा ''भी कहा गया .उनकी सबसे बड़ी चिंता ये थी कि लोगों में व्याप्त गरीबी को किस प्रकार दूर किया जाये .दरअसल डॉ.राम मनोहर लोहिया के बाद चौधरी साहब देश की राजनीति में अकेले  ऐसे नेता थे जिन्होंने पिछड़ी जातियों में राजनीति में हिस्सेदारी का एहसास जगाया .उन्हें सत्ता के नए शक्ति केंद्र के रूप में उभारा .उनके मन में तो इनके लिए केवल एक ही भावना विराजमान थी और वह केवल यूँ थी -
     ''अभी तक सो रहे हैं जो उन्हें आवाज़ तो दे दूँ ,
बिलखते बादलों को मैं कड़कती गाज़ तो दे दूँ .
जनम भर जो गए जोते ,जनम भर जो गए पीसे ,
उन्हें मैं तख़्त तो दे दूँ,उन्हें मैं ताज तो दे दूँ .''

जुलाई १९७९ में प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करने के बाद चौधरी साहब ने कहा था -
  ''इस देश के राजनेताओं को यद रखना चाहिए कि ......[उनके लिए]इससे अधिक देशभक्तिपूर्ण उद्देश्य और नहीं हो सकता कि वे यह सुनिश्चित करें कि कोई भी बच्चा भूखे पेट नहीं सोयेगा ,किसी भी परिवार को अपने अगले दिन की रोटी की चिंता नहीं होगी तथा कुपोषण के कारण किसी भी भारतीय के भविष्य और उसकी क्षमताओं के विकास को अवरुद्ध नहीं होने दिया जायेगा .''

      राज्य सभा की भूतपूर्व उपसभापति नजमा हेपतुल्लाह के अनुसार -
''तारिख जब अपना सफ़र शुरू करती है तो किसी ऐसे इन्सान को अपने लिए चुन लेती है जिसमे वक़्त से आँख मिलाने की जुर्रत व् हिम्मत हो .हिंदुस्तान की तारीख़ को ये फख्र हासिल है कि उसने यहाँ ऐसे इंसानों  को जन्म दिया जिन्होंने अपने हौसलों और इरादों से वक़्त की मुश्किल धार को मोड़ दिया .चौधरी चरण सिंह एक ऐसे ही हिम्मती इन्सान थे .उन्होंने खेतों व् खलिहानों से अपनी जिंदगी शुरू की और उसे तमाम हिंदुस्तान की जिंदगी बना दिया .''

      हालाँकि चौधरी साहब के बारे में मेरा जो भी ज्ञान है वह किताबी और सुना सुनाया है ,किन्तु फिर भी एक अद्भुत प्रेरणा है जो मुझे उनके सम्बन्ध में लिखने के लिए प्रेरित करती है .मैं कानून की छात्रा रही हूँ और जब मुझे ये पता लगा कि उत्तर प्रदेश में ज़मींदारी उन्मूलन व् भूमि सूधार के जनक पूजनीय चरण सिंह जी ही थे तो मैं उनसे प्रभावित हुए बगैर नहीं रह सकी .प्राचीन काल में ज़मींदारों द्वारा किये गए अत्याचारों से मजदूर वर्ग को बचाना चौधरी साहब का प्रशंसनीय कार्य था .
  वास्तव में चौधरी साहब आज भी हम लोगों के बीच में ही हैं ,अपने कार्यों द्वारा ,अपनी प्रेरणा द्वारा और जन जन में जगाई चेतना द्वारा .उनकी महक आज भी खेतों की मिटटी में,फसलों में व् भारत के कण कण में समायी है आज २३ दिसंबर २०१२ को चौधरी साहब की ११० वीं जयंती के अवसर पर पदमा शर्मा की ये पंक्तियाँ ही उन्हें समर्पित करने का मन करता है और मन इन पंक्तियों के साथ चौधरी साहब को शत शत नमन करता है-
      ''जन्म तो उन्ही का है जो काल से न हारते ,
       चुनौती मान जन्म को हैं कर्म से संवारते .''
          शालिनी कौशिक
              [कौशल ]

टिप्पणियाँ

vijai Rajbali Mathur ने कहा…
चौधरी चरण सिंह जी ने मेरठ कालेज,मेरठ से MSc,LLM किया था। वह कालेज केम्पस स्थित हॉस्टल मे ही रहे थे। उनके उसी कालेज मे 1969-71 के दौरान मैं भी बी ए मे पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त कर सका हूँ। जब वह उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री थे तब 1952 मे प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की उपस्थिती मे कांग्रेस पार्टी की मीटिंग मे जबर्दस्ती माईक पकड़ कर उनकी 'सहकारी कृषि नीति' की कड़ी आलोचना की थी जब कि उस समय नेहरू जी के समक्ष मुख खोलना कोई मुनासिब नहीं समझता था। जमींदारी उन्मूलन कानून बनवाने मे उनका खास योगदान था। 1984 मे उन्होने अपनी 'दलित मजदूर किसान पार्टी' से आगरा संसदीय क्षेत्र से प्रसिद्ध पत्रकार पंडित उद्यान शर्मा को उम्मीदवार बनाया था। उनकी भतीजी वंदना सिंह (घड़ियाली) होटल मुगल ,आगरा मे मेनेजर रही हैं जब मैं वहीं कार्यरत था। बतौर प्रधानमंत्री चौधरी साहब जब आगरा के सर्किट हाउस मे पधारे थे तो वंदना जी अपने पति जेहांगीर घड़ियाली(जो उनही के साथ मेनेजर थे) को लेकर उनसे मिलने गई थीं। एक कट्टर आर्यसमाजी होने के नाते वह अपनी भतीजी के एक पारसी से विवाह करने से असंतुष्ट थे और उन दोनों से नहीं मिले थे।
vijai Rajbali Mathur ने कहा…
1960 के दशक मे जब चौधरी साहब यू पी सरकार मे मंत्री और वीरेंद्र वर्मा साहब संसदीय सचिव थे तब वर्मा जी के निवास खन्ना विला,न्यू हैदराबाद अक्सर वह मंत्री चंद्र भानु गुप्ता जी के साथ रिक्शा पर बैठ कर उनसे मिलने आते थे।1967 मे 17 विधायक सदस्यों को लेकर उन्होने 'जन कांग्रेस 'बना ली थी और पहली गैर कांग्रेसी संविद सरकार के मुख्यमंत्री बने थे। 'झंडे वाला पार्क',लखनऊ मे उन्होने पश्चिम बंगाल के हुमायूँ कबीर और बिहार के महामाया प्रसाद के साथ मिल कर 'भारतीय क्रांति दल' का गठन किया था। 1969 मे उनके स्थानपर संविद ने लाल बहादुर शास्त्री जी के मित्र और राज्यसभा सदस्य त्रिभुवन नारायण सिंह को मुख्यमंत्री बना दिया था जिनको गोरखपुर के मनीराम क्षेत्र से चुनाव लड़ाया गया था। चौधरी साहब का सहयोग न मिलने के कारण 'अमर उजाला' ,आगरा के पत्रकार कांग्रेस उम्मीदवार राम कृष्ण दिवेदी से वह हार गए थे और मध्यवधी चुनावों का सामना यू पी को करना पड़ा था।

1971 मे मुजफ़्फ़र नगर -शामली संसदीय क्षेत्र से कम्युनिस्ट प्रत्याशी ठाकुर विजय पाल सिंह से चौधरी साहब के हार जाने पर 'जनसंघ'नेता अटल बिहारी बाजपाई ने कहा था-"हमने मनीराम की हार का बदला ले लिया। "वही अटल बिहारी बाजपाई प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई पर दबाव डाल कर चौधरी साहब को उप प्रधानमंत्री बनवाने मे अग्रणी थे। एमर्जेंसी मे इंदिरा जी चौधरी साहब को अधिक समय तक कैद न रख सकी थी। चिकमंगलूर की संसद सदस्यता से वंचित करके जब इन्दिरा जी को 'तिहाड़ जेल' मे एक माह की सजा पर रखा गया था तो 23 दिसंबर 1978 को उन्होने संजय गांधी की मार्फत चौधरी साहब को जन्मदिन की मुबारकवाद के रूप मे गुलाब पुष्प भिजवाए थे और 1979 मे उनको प्रधानमंत्री बनवाने मे कांग्रेस का सहयोग दिया था।
Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

दिनांक 24/12/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!

बेनामी ने कहा…
शानदार लेखन, बधाई !!!
virendra sharma ने कहा…
चौधरी चरण सिंह जी की सादगी के बारे में एक चुटकुला प्रचलित है जब वह प्रधान मंत्री बने गाँव वालों ने कहा अपना चरण सिंह इंदिरा गांधी बन गया है .

हरियाणा में चौधरी देवीलाल जी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खासकर चौधरी साहब का नाम बड़े आदर के साथ लिया जाता है लेकिन उनकी विरासत को उनके साहब जादे इंजीनीयर साहब और

हरियाणा के चौटाला और उनके हाथी की कद काठी वाले सुपूत संजो के न रख सके .

चौधरी अजीत सिंह जी तो कुर्सी का मोल भाव करने के लिए जाने जाते हैं रामविलास पासवान की तरह .

आज नगर नगर जाट महा विद्यालय हैं हरियाणा में खापें हैं .मेरठ में चरण सिंह विश्व विद्यालय है क्या यही इन महा पुरुषों की विरासत है .
एसे महान नेता चौधरी साहब को शत शत नमन,,,,

recent post : समाधान समस्याओं का,
काफी कुछ जानकारी मिली .... चौधरी चरण सिंह जी को नमन ।
bkaskar bhumi ने कहा…
शालिनी कौशिक जी नमस्कार
पूर्व में हुई चर्चा के अनुसार आपके ब्लाग 'कौशलÓ के लेख 'भारतीय भूमि के रत्न चौधरी सिंहÓ को भास्कर भूमि में प्रकाशित की गई है। इस लेख को आप भास्कर भूमि के ई पेपर में ब्लॉगरी पेज नं. 8 में देख सकते है। हमारा ई मेल एड्रेस है। www.bhaskarbhumi.com
सधन्यवाद
नीति श्रीवास्तव
bkaskar bhumi ने कहा…
शालिनी कौशिक जी नमस्कार
पूर्व में हुई चर्चा के अनुसार आपके ब्लाग 'कौशलÓ के लेख 'भारतीय भूमि के रत्न चौधरी सिंहÓ को भास्कर भूमि में प्रकाशित की गई है। इस लेख को आप भास्कर भूमि के ई पेपर में ब्लॉगरी पेज नं. 8 में देख सकते है। हमारा ई मेल एड्रेस है। www.bhaskarbhumi.com
सधन्यवाद
नीति श्रीवास्तव
कविता रावत ने कहा…
बहुत बढ़िया जानकारी के साथ सुन्दर सार्थक प्रस्तुति के लिए आभार...
जीवनी पहली बार पढ़ने को मिली, आभार..

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