"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 26-मेरी प्रविष्टि दो दोहे


 

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 26


दो दोहे-
व्याकुल मन माँ वसुंधरा ,करें करुण पुकार ,
पर्यावरण के शोषण का ,बंद कर दो व्यापार .

निसर्ग नियम पर ध्यान दे ,निसंशय मिले निस्तार ,
मेरा जीवन ही मनुज ,तेरा जग आधार .

      शालिनी कौशिक 

टिप्पणियाँ

Guzarish ने कहा…
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (20-05-2013) के 'सरिता की गुज़ारिश':चर्चा मंच 1250 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
सूचनार्थ |
Rajendra kumar ने कहा…
बहुत ही सार्थक दोहे,आभार.
बहुत ही सुन्दर।
Shikha Kaushik ने कहा…
sundar prastuti .aabhar
virendra sharma ने कहा…
पर्यावरण चेतना से अनुप्राणित दोहे .
kshama ने कहा…
Bahut khoob! Maine na jane itne maheenon me kya kya miss kar diya!

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