"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 26-मेरी प्रविष्टि दो दोहे

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक- 26
दो दोहे-
व्याकुल मन माँ वसुंधरा ,करें करुण पुकार ,
पर्यावरण के शोषण का ,बंद कर दो व्यापार .
निसर्ग नियम पर ध्यान दे ,निसंशय मिले निस्तार ,
मेरा जीवन ही मनुज ,तेरा जग आधार .
शालिनी कौशिक
टिप्पणियाँ
सूचनार्थ |
बहुत कुछ का अनुसरण कर बहुत कुछ देखें और पढें