आगाज़-ए-जिंदगी की तकमील मौत है .


Standing Skeleton warrior Stock Photo
आगाज़-ए-जिंदगी की तकमील मौत है .
   
 दरिया-ए-जिंदगी की मंजिल मौत है ,
आगाज़-ए-जिंदगी की तकमील मौत है .
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बाजीगरी इन्सां करे या कर ले बंदगी ,
मुक़र्रर वक़्त पर मौजूद मौत है .
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बेवफा है जिंदगी न करना मौहब्बत ,
रफ्ता-रफ्ता ज़हर का अंजाम मौत है .
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महबूबा बावफ़ा है दिल के सदा करीब ,
बढ़कर गले लगाती मुमताज़ मौत है .
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महफूज़ नहीं इन्सां पहलू में जिंदगी के ,
मजरूह करे जिंदगी मरहम मौत है .
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करती नहीं है मसखरी न करती तअस्सुब,
मनमौजी जिंदगी का तकब्बुर मौत है .
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ताज्जुब है फिर भी इन्सां भागे है इसी से ,
तकलीफ जिंदगी है आराम मौत है .
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तक़रीर नहीं सुनती न करती तकाजा ,
न पड़ती तकल्लुफ में तकदीर मौत है .
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तजुर्बे ''शालिनी''के करें उससे तज़किरा ,
तख्फीफ गम में लाने की तजवीज़ मौत है .
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                 शालिनी कौशिक 
                             [कौशल]

शब्दार्थ-तकमील-पूर्णता ,मुक़र्रर-निश्चित ,बावफ़ा-वफादार , तअस्सुब-पक्षपात, तज़किरा-चर्चा ,तक़रीर-भाषण ,तकब्बुर-अभिमान ,तकाजा-मांगना ,मुमताज़-विशिष्ट ,मजरूह-घायल 

टिप्पणियाँ

Ranjana verma ने कहा…
बेहतरीन ग़ज़ल..... बहुत सुंदरअभिव्यक्ति ....!!
virendra sharma ने कहा…
बेहतरीन गजल बेहतरीन अल्फ़ाज़ और मायने

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ताज्जुब है फिर भी इन्सां भागे है इसी से ,
तकलीफ जिंदगी है आराम मौत है .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (11-07-2013) को चर्चा - 1303 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
kya khoobsurat urdu shabdon ka istemaal kiya hai aapne apni nazm mein!
बहुत ही दमदार पंक्तियाँ..
बाजीगरी इन्सां करे या कर ले बंदगी ,
मुक़र्रर वक़्त पर मौजूद मौत है ...

सच है ... तभी तो ग़ालिब ने भी कहा है ...
मौत का एक दिन मुऐयन है ... नींद क्यों रात भर नहीं आती ...
Anita ने कहा…
वाह ! सुभानअल्लाह...
Unknown ने कहा…
वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर
kshama ने कहा…
Wah! Kya gazab likhatee hain aap...!Mere paas alfaaz naheen!
Dr. Shorya ने कहा…
बहुत सुंदर, शुभकामनाये
zeashan haider zaidi ने कहा…
मौत एक आग़ाज़ भी है नई ज़िन्दगी का।

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