केवल योग ही क्यों ?


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आजकल चारों तरफ भारत में बस एक ही चर्चा है कोई कह रहा है कि हम इसमें शामिल होंगे तो कोई कह रहा है हम इसे नहीं मनाएंगे इशारा है केवल और केवल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की तरफ जिसे भाजपा भुनाने की मुहीम में जुटी है .देश की संस्कृति में सदियों से रची बसी इस अमूल्य निधि को हड़पने की कोशिश में भाजपा अपने तन मन से जुट गयी है .ठीक वैसे ही जैसे राम मंदिर को और राम को अपनी निधि भाजपा ने ऐसे दिखाया कि अगर कोई और आज के समय में ''जय श्री राम '' का उच्चारण कर ले तो फ़ौरन भाजपाइयों को अपनी सत्ता पर खतरा महसूस होने लगता है और वे फ़ौरन कुत्सित राजनीतिक टिप्पणियों पर आ जाते है जैसे राम नाम लेने का अधिकार केवल भाजपा को है .ऐसे में सिवाय इसके और क्या कहा जा सकता है कि जो राम को ही न समझा वह उनका हो ही कैसे सकता है जबकि राम ने तो मानव मात्र में भेद न करना ही सिखाया था और ये तो भाई-भाई में ही भेदभाव को पैदा कर रहे हैं .ऐसे ही योग को अपनी बपौती मानते हुए आज ये केवल योग योग का उच्चारण कर रहे हैं और ऐसा दिखा रहे हैं जैसे योग के ये ही मालिक हैं और इनका यह दिखाना ही इस देश में योग के लिए ऐसे ऐसे बयानों को जन्म दे रहा है जिनका योग के गुण-प्रभाव से दूर दूर तक भी कोई नाता नहीं है .जहाँ तक हम सब योग के बारे में जानते हैं यह कोई साधना की पद्धति नहीं है यह आज के तनावपूर्ण भौतिकवादी जीवन से मनुष्य मात्र को शांति पहुँचाने का एक साधन है और शरीर के अंगों पर पड़ते जीवन के काम-काज के दुष्प्रभाव दूर करने के लिए इसे हमारे ऋषियों-मुनियों द्वारा आज़माया जाता रहा है और इसलिए इसका इस्तेमाल हमेशा से भारत में होता रहा है किन्तु भाजपा को देश की ऐसी अमूल्य निधियों को हड़पने की हमेशा से महत्वाकांक्षा रही है जिसके माध्यम से वह यहाँ के एक समुदाय को अपनी ओर खींचकर उसके मन में दुसरे समुदाय के प्रति द्वेषभाव भर सके और वह इसीका माध्यम अब योग को बना रही है और इसी कारण योग को लेकर गलत और जहर भरी बयान बाजी हो रही है और भाजपा इसे निरंतर तूल दे रही है कभी प्रधानमंत्री के योग के समाचार आ रहे हैं कभी अमित शाह पटना में मुस्लिम योग टीचर से विशेष प्रशिक्षण की बात कर रहे हैं कभी रविशंकर प्रसाद ,रूडी ,राधा मोहन सिंह ,राम कृपाल यादव के पटना में विशेष योग कैम्प में शामिल होने की बातें समाचारों में आ रही हैं आखिर क्यों केवल योग योग को ही गाया जा रहा है जून में और भी दिवस इस बीच में पड़े हैं किन्तु उनमे भाजपा ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई न ही कोई कार्यवाही उनके सम्बन्ध में हुई .वे दिवस इस प्रकार हैं -
५ जून -विश्व पर्यावरण दिवस
८ जून -विश्व महासागर दिवस
१२ जून -विश्व बालश्रम निरोध दिवस
१४ जून -विश्व रक्तदान दिवस
१५ जून -World Elder Abuse Awarness Day
१७ जून -World Day to Combat Desertification
२० जून -विश्व शरणार्थी दिवस
२१ जून -विश्व योग दिवस
इनका अवलोकन किये जाने पर हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि न तो १२ जून को बालश्रम के समबन्ध में भाजपा ने कोई स्वस्थ प्रतिक्रिया दी न १४ जून को भाजपाइयों ने रक्तदान किया और ही अन्य दिवसों में कोई सार्वजनिक कार्यक्रम के जरिये इनपर कोई सन्देश जनता तक पहुँचाया गया .केवल योग योग को ही गाकर भाजपा इसे अपनाना चाह रही है और इसे राम मंदिर की तरह इस देश में अपने वोट बैंक में शामिल करना चाह रही है जबकि यह हमेशा से इस देश और देशवासियों की निधि रहा है और रहेगा .हिन्दू मुस्लिम को इस तरीके से बाँटने की भाजपा की राजनीति इस देश में नहीं चल पायेगी यहाँ हिन्दू भी योगी रहा है और मुस्लिम भी .
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सम्राट अकबर की जीवन चर्या और हमारे योगियों की जीवनचर्या यहाँ योग पर ही आधारित रही है और ये दोनों हिन्दू-मुस्लिम के दिलों दिमाग पर रहना ही चाहिए न कि भाजपा की हडपों और बांटों की राजनीति .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]

टिप्पणियाँ

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (19-06-2015) को "गुज़र रही है ज़िन्दगी तन्‌हा" {चर्चा - 2011} पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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