पर ये तन्हाई ही हमें जीना सिखाती है.




ये जिंदगी तन्हाई को साथ लाती है,
   हमें कुछ करने के काबिल बनाती  है.
सच है मिलना जुलना बहुत ज़रूरी है,
     पर ये तन्हाई ही हमें जीना  सिखाती है.

यूँ तो तन्हाई भरे शबो-रोज़,
          वीरान कर देते हैं जिंदगी.
उमरे-रफ्ता में ये तन्हाई ही ,
        अपने गिरेबाँ में झांकना सिखाती है.

मौतबर शख्स हमें मिलता नहीं,
     ये यकीं हर किसी पर होता नहीं.
ये तन्हाई की ही सलाहियत है,
     जो सीरत को संजीदगी सिखाती है.
        शालिनी कौशिक 

टिप्पणियाँ

रविकर ने कहा…
बिलकुल सही ||
तन्हाई मतलब अपना समय ||
कोई दखलंदाजी नहीं--
तुम्हारे सिवा ||
बधाई शालिनी जी ||
दिल को छु गयी आपकी ये खुबसुरत,प्रेममयी खुशबुदार रचना
मौतबर शख्स हमें मिलता नहीं, ये यकीं हर किसी पर होता नहीं.ये तन्हाई की ही सलाहियत है,
.....यह बिम्ब और भाव का शब्दिक अवतरण दोनों बेमिसाल ......
रेखा ने कहा…
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ...
Arvind kumar ने कहा…
कम्बखत इस तन्हाई के बारे में क्या कहें....न जीने देती है और न मरने ही देती है....

कमाल लिखा है आपने...

आदर सहित
Rajesh Kumari ने कहा…
very nice.bahut pasand aai.
सोचना तो तभी हो पाता है।
kshama ने कहा…
मौतबर शख्स हमें मिलता नहीं,
ये यकीं हर किसी पर होता नहीं.
ये तन्हाई की ही सलाहियत है,
जो सीरत को संजीदगी सिखाती है.
Sahee hai...lekin kabhi,kabhi tanhaayee andartak tod bhee detee hai...
ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना...
प्रेम सरोवर ने कहा…
मौतबर शख्स हमें मिलता नहीं,
ये यकीं हर किसी पर होता नहीं.
ये तन्हाई की ही सलाहियत है,
जो सीरत को संजीदगी सिखाती है।

शालिनी जी आपके पोस्ट पर पहली बार आया हूँ। पोस्ट अच्छा लगा। बहुत ही सुंदर। मेरे पोस्ट पर भी आपका स्वागत है।धन्यवाद।
Bhola-Krishna ने कहा…
एक तन्हाई ही रब से हमे मिलाती है
वरना ये जीस्त तो बस यूंही गुजर जाती है

जब तलक झेलते रेले हो तुम इस मेले में
न समझ पाओगे दुनिया कहाँ ले जाती है

एकांत में पलभर में ध्यान लग जायेगा
औ ख्यालों में 'वो' चुपके से आ जायेगा
S.N SHUKLA ने कहा…
सच है मिलना जुलना बहुत ज़रूरी है,
पर ये तन्हाई ही हमें जीना सिखाती है.

थोड़े शब्दों में बहुत कुछ , सुन्दर प्रस्तुति , आभार
neelima garg ने कहा…
उमरे-रफ्ता में ये तन्हाई ही ,
अपने गिरेबाँ में झांकना सिखाती है.
rightly said..
ये तन्हाई की ही सलाहियत है,
जो सीरत को संजीदगी सिखाती है '
.............सुन्दर रचना
...........तन्हाई मिलन की ख़ुशी को कई गुना बढ़ा देती है
Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…
बहुत ही सुन्दर,शानदार और उम्दा प्रस्तुती!
Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…
आपका तहेदिल से शुक्रिया मेरे ब्लॉग पे आने के लिए और शुभकामनाएं देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद/शुक्रिया..
Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…
9 दिन तक ब्लोगिंग से दूर रहा इस लिए आपके ब्लॉग पर नहीं आया उसके लिए क्षमा चाहता हूँ ...आपका सवाई सिंह
DR. ANWER JAMAL ने कहा…
अच्छे भाव और सुंदर शब्द ।
बहुत बढिया प्रस्तुति
S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…
तन्हाई ही हमें जीना सिखाती है.

सच्ची बात... अच्छी अभिव्यक्ति...
सादर...
kanu..... ने कहा…
bahut acchi rachna.sach hai tanhai hi hame khud se milati hai.tanhai hi hame jeena sikhati hai
sunita upadhyay ने कहा…
tanhai hame tab bahut ahi lagti hai jab hame khud ko hi khojna hota hai,jisme ham bahut kuch sikh pate hai.bahut achi rachana hai. thanx ma'am.

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