एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया..
मुस्कुरा कर कहा उसने एक बार जो,
सुनते ही दिल मेरा बाग-बाग हो गया.
कोई और चाह न रही मन में,
एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया.
भूली कितना गम सहा मेरे मन ने,
शब्द सुनते ही यहाँ दिल रम गया.
कोई और चाह न रही मन में,
एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया.
हमने चाहा उनसे मिलकर कुछ कहें,
पास उनके जिंदगी भर हम रहें.
सोचते ही सोचते दिल थम गया,
एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया.
साभार गूगल
शालिनी कौशिक
टिप्पणियाँ
रचना अच्छी है।
http://auratkihaqiqat.blogspot.com/
पास उनके जिंदगी भर हम रहें.
सोचते ही सोचते दिल थम गया,
एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया.
Badahee manbhavan likhtee hain aap!
पास उनके जिंदगी भर हम रहें.
सोचते ही रह गए --
कुछ तो कहना ही था--
कम से कम सामने वाले--
बन्दे को भी तसल्ली मिल जाती
चैन मिल जाता ||
भाई, ये ठीक बात नहीं है |
आप तो सुन कर खिसक लिए ||
कहीं ऐसा न हो
आपके कुछ कहे बगैर
वो बेचारा--
जज्बातों का मारा --
जीवन भर
सिसक-सिसक जिए |
आप ऐसा क्यूँ किये ||
आभार, बढ़िया
सुन्दर-सुन्दर-सुन्दर भाई|
उत्तम-उत्तम-उत्तम भाई ||
सुन्दर भाई -उत्तम भाई-
मस्त बनाई -मस्त लिखाई||
पास उनके जिंदगी भर हम रहें.
सोचते ही सोचते दिल थम गया,
एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया
.
बहुत खूब कहा है
एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया
बहुत सुन्दर रचना ...
एक उसी लम्हे का ख्याल रह गया...very nice..
वो बात उन्हें बहुत नागवार गुजरी है |
aur
zindgi bhar ka hisaab....... !!