जम्मू-कश्मीर में पहली बार पंचायती राज
खुशबू(इन्द्री)
जम्मू पंचायती राज कानून देश में भले ही तीन दशक पहले लागू हो गया हो, लेकिन जम्मू कश्मीर में तो यह पहली बार पूर्णतया और प्रभावी रूप से लागू होने जा रहा है। सूबे के 22 जिलों की 81 तहसीलों के 7050 गांवों में तीन महीनों तक चली 16 चरणों वाली चुनाव प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। राज्य सरकार 30 जून कर पंचायती राज अधिनियम 1989 के तहत नोटिफिकेशन जारी कर सूबे में पंचायती राज लागू कर देगी। इसके साथ ही ग्रामीणों को दस साल बाद एक बार फिर अपने फैसले खुद करने का अधिकार हासिल हो जाएगा। इतना ही नहीं, राज्य को केंद्र की ओर से ग्रामीण विकास के लिए सालाना करीब पांच सौ करोड़ की राशि जारी होने लगेगी, जो पंचायतें न होने के कारण पिछले पांच सालों से नहीं मिल रही थी। राज्य के विभिन्न 22 जिलों की 81 तहसीलों के 7050 गांव हैं, जिनमें 16 चरणों में मतदान की प्रक्रिया 18 जून तक चली। इनमें 4130 सरपंच और 29719 पंच चुने गए हैं। राज्य के कुल 143 ब्लॉकों में से 141 की डाटा एंट्री की प्रक्रिया जोरों पर है। मुख्य निर्वाचन अधिकारी बीआर शर्मा 27 जून को कारगिल के दो ब्लॉकों में चुनाव करवाने के बाद पंचायत चुनाव प्रक्रिया संपन्न होने संबंधी सारा डाटा सरकार को सौंप देंगे। इसके मिलते ही राज्य सरकार पंचायतीराज अधिनियम 1989 के तहत नोटिफिकेशन जारी कर देगी। ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए लोगों को पंचायत चुनाव का वर्षाें से इंतजार था। नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकाल में 2001 में राज्य में 23 साल बाद पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन यह पहले चरण तक ही सिमट गई थी। कश्मीर घाटी की अधिकतर पंचायतों में चुनाव न होने से पंचायती राज औपचारिकता बनकर रह गया था। 2006 से राज्य में पंचायतों को भंग किए जाने के बाद से चुनाव का इंतजार हो रहा था। चुनाव न होने से राज्य को गत पांच सालों में अरबों का नुकसान हुआ, क्योंकि केंद्र सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए चिह्नित योजनाओं के लिए धनराशि जारी ही नहीं की। सूबे के पंचायती राज्यमंत्री एजाज अहमद खान का कहना है कि सरकार पंचायती राज कायम करने के प्रति गंभीर है। पंचायती राज के तीन चरणों को प्रभावी बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने कहा, 2001 के पंचायत चुनाव में राज्य में 38,02,302 मतदाता थे, जबकि 2011 में 50,68,975 लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया। राज्य में दस साल पूर्व 2702 सरपंच व 20559 पंच पद थे। एक दशक के इस अंतराल में राज्य में आठ नए जिले व 22 नए ब्लॉक बने। नए जिलों का गठन 2007 में हुआ। खान ने कहा, अब सरकार के लिए अगली चुनौती पंचायत कमेटियां, उनके चेयरमैन, जिला विकास बोर्ड के चेयरमैन व विधान परिषद के दो एमएलसी बनाना होगा।
टिप्पणियाँ
लेखिका को बधाई |
एवं प्रस्तुति के लिए आपको साधुवाद ||
yeh to vaise hamare kaam ki jaankari nahi hai aachi jankari yaha par dene ke liye abhar