जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान
नैनों में अश्रु बन छाया,होठों पर मुस्कान,
जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान
जीवन में सब पाने की जब अपने मन में ठानी,
तभी सामने आ गयी जीवन की बेईमानी .
देने को हमें कुछ न लाया ये जीवन महान,
जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान,
हमने जब कुछ भी है चाह हमें नहीं मिल पाया,
जो पाया था इस जीवन में उसे भी हमने गंवाया,
फिर क्यों हालत देख के अपनी होते हैं हैरान,
जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान.
शालिनी कौशिक
टिप्पणियाँ
तभी सामने आ गयी जीवन की बेईमानी .
यह जीवन की ऐसी सच्चाई है जिससे मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है।
--कब बेईमान हो गए पता ही नहीं चला??
* जीवन की सच्चाई से हम बने रहे अंजान.
फिर भी अपने आपको इमानदार सिद्ध करने में लगे रहते हैं हम ||
तभी सामने आ गयी जीवन की बेईमानी .
concordant with facts..... a reality.
Nice read !!
तभी सामने आ गयी जीवन की बेईमानी ...
Sach hai jab ahankaar/laalach a jaata hai ... beimaani aa jaati hai ...