भ्रष्ट भारत की तस्वीर
भारत को आजाद हुए 63 साल बीत चुके हैं। इन सालों में भारत ने हर क्षेत्र में इतनी उन्नति की आज भारत सूचना तकनीकी के शिखर पर है। आज भारतीयों के हाथ में मोबाइल,एटीएम,पैनकार्ड,थ्रीजी सेवाएं हैं। मीडिया के बाद सूचना प्रोद्यौगिकी को देश का पांचवां स्तम्भ माना जा चुका है। औद्योगिक स्तर पर भारत विश्व स्तर पर चमक रहा है। इन सभी के बावजूद आज भारत घोटालों,भ्रष्टाचार,गरीबी,बेरोजगारी,आतंकवाद,वोटबैंक की राजनीति के स्तर पर भी खड़ा है। कहने को सरकार गरीबी उन्मूलन एवं कल्याण योजनाएं बनाती है। सस्ते दामों पर आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराती है। हर साल करोड़ों का बजट जनता की सेवा में अर्पित किया जाता है। रोजाना शिक्षा विकास हेतु नए-नए सुझाव दिए जाते हैं। अब तो स्कूली बच्चों को दोपहर का भोजन और नि:शुल्क किताबें उपलब्ध करायी जाती हैं। सालाना हजारों नौकरियों के अवसर दिए जाते हैं और भी न जाने कितनी सुविधाएं यह देश अपनी एक अरब जनता को उपलब्ध कराता है। बावजूद इसके देश की जनता गरीबी की मार झेल रही है। आज भी लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती। नौकरियों के अवसर होने पर भी पढ़े-लिखे डिग्री होल्डर अनुभवी प्रतिभाएं सडक़ों पर खाक छान रही हैं। क्योंकि नौकरियां तो रसूखदारों,सिफ ारिशियों और नेता या मंत्री के रिश्तेदारों को दे दी जाती हैं। योजनाएं,परियोजनाएं और सेवाएं तो मंत्रियों,अधिकारियों के लिए काली कमाई का जरिया बन गयी हैं। जनता को इनका फ ायदा मिले या न मिले कोई मतलब नहीं। आंकड़ों में हेराफ ेरी कर अपनी जेबें भरते हैं। शहीदों की विधवाओं के लिए मकान बनाए जाते हैं और इनमें रहते हैं देशके मंत्री और प्रशासनिक एवं सैन्य अधिकारी। मिड-डे मील बच्चों के लिए पर गला सड़ा कीड़ों वाला अनाज। वास्तव आज का भारत भ्रष्टाचारियों और घोटालेबाजों का देश बन कर रह गया है। जिसका ताजा उदाहरण है वर्तमान समय में उजागर हो रहे घोटाले। इस समय देश की कांग्रेस सरकार घोटालों की सरकार साबित हो रही है। टूजी मामले में तो प्रधानमंत्री साहब ने अपना बचाव करते हुए राजा को मंत्री बनाना गठबंधन हेतु अपनी मजबूरी बताया। मतलब यह कि देश के शासक सत्ता में बने रहने के लिए गलत का साथ देने से भी नहीं चूकेंगे। संक्षेप में आज भारत में लोकतंत्र नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के लिए,भ्रष्टाचारियों द्वारा,भ्रष्टाचार के हित में चलाया जा रहा भ्रष्टतंत्र है।
खुशबू इन्द्री करनाल
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लेखक-खुशबू इन्द्री करनाल
प्रस्तुति-शालिनी कौशिक
टिप्पणियाँ
यह पंक्ति आपके आलेख का सारांश है यदि कहा जाये तो गलत नहीं होगा.
भारत में लोकतंत्र नहीं बल्कि भ्रष्टाचार के लिए ,
भ्रष्टाचारियों द्वारा,भ्रष्टाचार के हित में चलाया
जा रहा भ्रष्टतंत्र है ! बिलकुल सत्य है !
- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com