उत्तर प्रदेश की पुलिस उत्पीड़न में नंबर वन
खुशबू(इन्द्री)नोएडा में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों पर कार्रवाई के लिए आलोचनाएं झेल रही उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ वर्ष 2010-11 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को सर्वाधिक शिकायतें मिली हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2010-11 में यूपी पुलिस के खिलाफ आयोग को 8,768 शिकायतें मिलीं। इनमें हिरासत में मौत, प्रताड़ना, अत्याचार, फर्जी मुठभेड़ और कानूनी कार्रवाई करने में नाकामी जैसे मामले शामिल हैं। पुलिस के खिलाफ मिली शिकायतों के मामले में राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली।,023 शिकायतों के साथ दूसरे स्थान पर है। इसके बाद हरियाणा (782 शिकायतें), राजस्थान (571), बिहार (533) का नंबर है। शिकायतों का यह सिलसिला 2011-12 में भी जारी है और यूपी से 25 अप्रैल तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को 619 शिकायतें और दिल्ली से 85 शिकायतें मिल चुकी हैं। पुलिस के खिलाफ दादरा और नागर हवेली से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक शिकायत, नगालैंड से दो शिकायतें, मिजोरम तथा त्रिपुरा से तीन-तीन और पुडुचेरी तथा अरुणाचल प्रदेश से सात-सात शिकायतें मिली हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को वर्ष 2010 से 12 में उत्तर प्रदेश से हिरासत में प्रताड़ना की 654 शिकायतें, अनुसूचित जातियों -जनजातियों के खिलाफ ज्यादती की 93 और फर्जी मुठभेड़ की 40 शिकायतें मिलीं। हालांकि आंकड़े बताते हैं कि राज्य से मिलने वाली शिकायतों की संख्या घटी है। वर्ष 2009-10 में आयोग को 10,191 और 2008 - 09 में 10,740 शिकायतें मिली थीं। नक्सल प्रभावित राज्यों में पुलिस संबंधी शिकायतें बढ़ी हैं। उड़ीसा में 2009-10 में इनकी संख्या जहां 87 थी वहीं 2010-11 में यह संख्या बढ़ कर 182 हो गई। झारखंड में पुलिस के खिलाफ 2009 -10 में 208 और 2010 -11 में 254 शिकायतें, छत्तीसगढ़ में इसी अवधि में 53 और 58, मध्यप्रदेश में 336 और 355, पश्चिम बंगाल में 113 और 161 शिकायतें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को मिलीं। महाराष्ट्र में इनकी संख्या कम हुई है। उग्रवाद प्रभावित मणिपुर से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को 2011-12 के दौरान फर्जी मुठभेड़ की आठ शिकायतें मिलीं। थाने में युवक की मौत दो उप निरीक्षक निलंबित बस्ती, जासं : यूपी पुलिस की वर्दी रविवार को दागदार हो गई। दुबौलिया थाने की हवालात में एक युवक की जान चली गई। परिवारजनों का आरोप है कि पुलिस की क्रूरता से वह मरा, जबकि एसपी इसे खुदकुशी का मामला बता रहे हैं। फिलहाल उन्होंने थाने के दो उप निरीक्षकों को निलंबित कर दिया है, जबकि जिलाधिकारी ने घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के निर्देश दिए हैं। जानकारी के अनुसार दुबौलिया पुलिस ने विशुनदासपुर निवासी भगवंत सिंह के पुत्र नागेन्द्र कुमार सिंह उर्फ झिन्नू (35) को शनिवार को कटरिया से गिरफ्तार किया था। गांव पट्टीदारी की दर्जा नौ की एक छात्रा को 11 मई की रात जबरन उठा ले जाने का उस पर आरोप था। रविवार को दिन के 11 बजे नागेन्द्र की थाने की हवालात में मौत हो गई। इसके बाद पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। इस दौरान आनन-फानन में पुलिस ने चालाकी दिखाते हुए शव हवालात से बाहर निकाल दिया व जिला अस्पताल लाकर उसे मॉर्चरी में रख दिया। जिला मुख्यालय पहुंचे नागेन्द्र के भतीजे रजनीकांत उर्फ सिंपल सिंह ने कहा कि पुलिस ने शनिवार को गिरफ्तार करने के बाद बेरहमी से उसकी पिटाई की और उसके हाथ की अंगुलियां तोड़ डाली। इसी वजह से हवालात में ही जान चली गई।
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प्रस्तुति-शालिनी कौशिक
टिप्पणियाँ
बुजुर्गों का ध्यान रखो भाई |
फर्जी मुठभेड़ |..
हो ज!य सिद्ध
तो सजा
मौत की ||
कुछ भी कम नहीं |
दर असल
इन पुलिसियों में नहीं है दम |
ये बस निहत्थों और अबला पर
दिखा पIते हैं बल |
इन्हें अपने किये की सजा जरुर मिलेगी
आज नहीं तो कल |
जम जागेगा इनका जमीर
ये कुक्कुर हो जायेगे पागल ||
उत्तर प्रदेश-उल्टा प्रदेश या उल्लू प्रदेश!
जब से धर्मांचल बना -- तब से
उत्तर प्रदेश का अत्यंत शोचनीय परिवेश |
यू पी पुलिस राम भरोसे .
बधाई स्वीकारें