कहाँ कल थे निर्माण कहाँ आज पहुंचे हाल
बहुत घमंड में रहते हैं आज के लोग कि हम आज विकास के मामले में तकनीक के मामले में हर तरह से पुराने समय से आगे हैं हमने आज जो हासिल किया है उसके बारे में तो पुँराने लोग सोच भी नहीं सकते थे और इसी का परिणाम देखो आज कितनी ऊँची ऊँची बिल्डिंग्स पलक झपकते ही खड़ी हैं और ऐसी बिल्डिंग्स खड़े करने में पुराने लोगों को सालों लग जाते थे और हम नए लोग आज इन्हें पल भर में खड़ी कर रहे हैं.
पर आज के हालत उनके घमंड को तोड़ भी पल में ही रहे हैं आज के अमर उजाला में मुख्य पृष्ठ पर ''निर्माणाधीन लिंटर ढहने से दो की मौत ,८ घायल ''समाचार दिखा रहा है आज के निर्माणों को आईना .भोपा[मुज़फ्फरनगर]के गाँव नंगला बुजुर्ग के क्षेत्र में पंचायत सदस्य अमीर हसन के मकान की पहली मंजिल पर लिंटर डाला जा रहा था इसी दौरान शाम करीब चार बजे निर्माणाधीन मकान की दीवार गिर गयी भरभराकर लिंटर भी गिर गया ,परिवार के सदस्य ,राजमिस्त्री और मजदूर इसमें दब गए .शीबा और मुस्कान दो छोटी बच्चियां इसमें मर गयी .
ये तो मात्र एक उदाहरण है आज के निर्माण का और आज के निर्माण की खूबी ये है कि ये डेढ़ इंटी की दीवार में बनाये जाते हैं और ये दीवारें जितनी मजबूत होती हैं इसका उदाहरण हमारे सामने आये दिन कभी समाचार पत्रों से तो कभी अपने आस पास की घटनाओं से मिलता रहता है और यदि हम पहले के निर्माणों पर नज़र डालें तो दीवारें ऐसी होती थी कि आज के तो घरों के कमरे तक उनमे निकल आयेंगे और ये दीवारें भूकंप की बड़ी से बड़ी मार भी झेल जाती थी और आज की दीवारें लिंटर का बोझ भी नहीं झेल पाती .
क्या हमें आज के इन निर्माण पर गर्व करना चाहिए या पुराने निर्माणों से कुछ सीख ग्रहण करनी चाहिए?
शालिनी कौशिक
टिप्पणियाँ
बधाई स्वीकार करें ||
बहुत हि शानदार पस्तुति
आपको और आपके परिवार को हरियाली तीज के शुभ अवसर पर बहुत बहुत शुभकामनायें ....
aabhar
--
चौमासे में श्याम घटा जब आसमान पर छाती है।
आजादी के उत्सव की वो मुझको याद दिलाती है।।....