फ़ोर्ब्स की सूची :कृपया सही करें आकलन
आज के समाचार पत्रों का एक मुख्य समाचार-''सोनिया सातवीं शक्तिशाली महिला''/सबसे शक्तिशाली महिलाओं में सोनिया''
अभी कल ही फ़ोर्ब्स मैगजीन ने विश्व की सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची जारी की और उसमे सोनिया गाँधी जी को विश्व में सातवाँ स्थान दिया गया है.सूची में भले ही महिलाओं की विश्व में शक्ति और योग्यता के अनुसार आकलन किया गया हो किन्तु यह कहना कि यह सूची सही है मैं नहीं कह सकती क्योंकि विभिन्न क्षेत्रों की महिलाओं को एक जगह जोड़ कर आकलन करना सही प्रतीत नहीं होता क्योंकि सभी क्षेत्रों के विकास और शक्ति के अलग अलग आकलन होते हैं .अब राजनीतिक क्षेत्र ,आर्थिक क्षेत्र ,मीडिया का यदि हम एक जगह आकलन करने बैठ जाएँ तो हम किसी सही निर्णय पर नहीं पहुँच पाएंगे.
इन्द्र नूयी पेप्सिको की सी.ई.ओ. हैं, शेरिल सेंद्बर्ग फेसबुक की सी.ई.ओ. हैं ,मेलिंडा गेट्स बिल एंड मेलिंडा गेट्स फ़ाऊउन्देशन की सह संस्थापक हैं और इनका कार्य क्षेत्र राजनीति के क्षेत्र से बिलकुल पृथक है और दूसरी बात सोनिया जी से ऊपर जिन राजनीति के क्षेत्र की महिलाओं को भी रखा है वे भी उनके समकक्ष कहीं नहीं ठहरती क्योंकि वे जो भी हैं अपने देश में हैं जबकि सोनिया जी ने अपना जो अस्तित्व बनाया है वह एक ऐसे देश में बनाया है जहाँ उनके विदेशी होने का सर्वाधिक विरोध है और जहाँ उन्होंने अपना स्थान सभी का विरोध झेल कर अपनी योग्यता से बनाया है.
इसलिए मेरे अनुसार सोनिया जी का स्थान विश्व में शक्तिशाली महिलाओं में सबसे ऊपर है और अपने शानदार कार्यों को लेकर वे ही विश्व में इस पद की अधिकारी हैं .
शालिनी कौशिक
टिप्पणियाँ
और भारत का ये दुर्भाग्य ही है |
लेकिन फ़ोर्ब्स मैगजीन ने किस आधार पर ये लिस्ट बनाइ है ये देखना जरुरी है आभार
क्षमा कीजियेगा मै इस बात से सहमत नहीं हूँ. भारत में सोनिया के स्थान के लिए उनकी योग्यता से अधिक कांग्रसियो की परिवार के प्रति निष्ठां का योगदान है.
यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
एक ओर अन्ना 11 दिनों से भूखा है, दूसरी ओर सोनिया विदेशों में आराम फरमा रही हैं।
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महानता की पराकाष्टा हो गई यह तो।
सटीक बात कही है आपने .फ़ोर्ब्स को श्रेणी बनानी ही चाहियें और सार्वजानिक भी करनी चाहियें .हर क्षेत्र में भिन्न परिस्थितियां होती हैं .उनका सामना करना व् निर्णय लेना भी मायने रखता है एक व्यक्ति के लिए .भिन्न क्षेत्रों के व्यक्तियों की उपलब्धियों को एक तराजू में नहीं तोला जा सकता है .सार्थक आलेख .आभार
1 ब्लॉग सबका ... की तरफ से
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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