स्वतंत्रता दिवस भ्रष्टाचार और आज की पीढ़ी
स्वतंत्रता दिवस की ६५ वीं वर्षगांठ मनाने को लेकर जहाँ सरकारी क्षेत्र में हलचल मची है वहीँ जनता में असमंजस है कि हम क्या करें क्योंकि जनता को आज कहीं भी ऐसी स्थिति नहीं दिखती जिसे लेकर आजादी की खुशियाँ मनाई जा सकें .अमर उजाला ने अपने रविवार के संस्करण में ''आजादी,अन्ना और सितारों की तमन्ना ''शीर्षक युक्त आलेख में जो कि सुमंत मिश्र ने लिखा है में आजादी को लेकर हमारे कुछ प्रसिद्द फ़िल्मी कलाकारों के विचार प्रस्तुत किये हैं .जो निम्नलिखित हैं-
- सुष्मिता सेन के अनुसार-''हमें अनुशासित होने की ज़रुरत है....अन्ना की आवाज़ से आम लोगों की उम्मीदें आ जुडी हैं.''
- अनुपम खेर कहते हैं पिछले ६० सालों से आम लोगों को देश के नेता बेवकूफ बना रहे हैं लेकिन अन्ना हजारे आम आदमी की आवाज़ बनकर आगे आयें हैं.''
- फ़िल्मकार गुलज़ार का कहना है ,''अन्ना हजारे नहीं हजारों हैं.........देश को सुरक्षित रखने की मुहिम में जुटे.....अन्ना के समर्थन में युवाओं की फ़ौज उसी तरह आ कड़ी हुई है जिस तरह जय प्रकाश आन्दोलन के समय आ खड़ी हुई थी .''
- अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा कहते हैं-''आज से ६४ साल पहले आजादी जिन आदर्शों पर मिली थी आज न उस तरह के आदर्श हैं न उस तरह के चरित्र वाले नेता.....भ्रष्टाचार से देश की हवा बदबूदार हो गयी है .अन्ना हजारे देश में एक ताज़ा हवा का झोंका लेकर आयेंगे.
- ये तो थे आज के स्वतंत्रता दिवस पर भ्रष्टाचार के खात्मे को प्रयासरत अन्ना को लेकर और आज की पीढ़ी के विचार जो कि अमर उजाला ने प्रस्तुत किये अब यदि हम हिंदुस्तान दैनिक के द्वारा प्रस्तुत इस सम्बन्ध में स्वाधीनता सेनानियों के विचार जाने तो वे कुछ यूँ हैं-
- ३२ साल की उम्र में जंग-ए-आजादी में कूदने वाले गंगाराम सहाय आज के हालातों से दुखी हैं .उनका कहना है कि सभी राजनीतिक पार्टियाँ स्वार्थ से जुड़कर काम कर रही हैं भ्रष्टाचार की बेड़ियों में देश जकड़ता जा रहा है.
- नेताजी सुभाष चंद बोस की आजाद हिंद फ़ौज में शामिल हो पञ्च साल तक अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले ८७ वर्षीय ओम प्रकाश सत्ताधारी नेताओं से पूरी तरह नाराज हैं उनका कहना है कि जब तक भ्रष्टाचार को नहीं मिटाया जायेगा तब तक सत्ताधारी नेता भी अपने आचरण को नहीं सुधार सकेंगे .
- १६ वर्ष की उम्र में स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने वाले ८६ वर्षीय श्याम सिंह भी आज के हालात से दुखी हैं उनका कहना है कि देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए एक जन आन्दोलन की आवश्यकता है .
- ज्योति प्रसाद त्यागी १९४२ के भारत छोडो आन्दोलन में गिरफ्तार हुए चौदह महीने की जेल हो गयी के मन में भी एक टीस उभरती है क्या यही वह भारत है जिसका सपना अमर शहीदों व् मेरे जैसे जंग-ए-आजादी के सिपाहियों ने देखा था.
''नावें डगमगा रही कांप रहे मस्तूल,
मांझी फिर भी कह रहे मौसम है अनुकूल.''
आज की स्थितियां न केवल फ़िल्मी सितारों और स्वाधीनता संग्राम में अपना जीवन लगाने वाले इन लोगों को उद्द्वेलित कर रही हैं बल्कि आम आदमी भी इसे लेकर नाराज है किन्तु उसकी ये नाराजगी मात्र भ्रष्टाचार को लेकर है स्वतंत्रता दिवस को मनाने को लेकर उसमे कोई उत्साह नज़र नहीं आता है.साल में ये दो दिन जो कि हम भारतीयों के लिए अति महत्वपूर्ण माने जाने चाहियें -''गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस ''दोनों मात्र अवकाश के दिन के तौर पर याद रखे जाते हैं .नवीन जिंदल जी ने जो घर घर पर तिरंगा झंडा फहराने का अधिकार हम भारतीयों को दिलाया है उसे लेकर कोई खास उत्साह हम भारतीयों में नहीं दीखता उससे ज्यादा उत्साह तो क्षेत्र में एक अभिनेता या अभिनेत्री के आगमन पर दिख जाता है .बच्चे अपने देश के इन महत्वपूर्ण दिवसों को मात्र स्कूल कोलेज के समारोह के रूप में लेते हैं और उससे ज्यादा न वे जानते हैं न जानना चाहते हैं.
आज भ्रष्टाचार को लेकर लोग जाग रहे हैं वो भी यूँ कि उन्हें जगाया जा रहा है अन्ना द्वारा .भला ये भी कोई बात हुई कि बार बार इन सोते लोगों को जगाया जाये .क्या देश के वीरों द्वारा अपने प्राण न्योछावर कर जो आजादी हमें दिलाई गई उसे लेकर हमारी कोई जिम्मेदारी नही बनती क्या ये हमारी जिम्मेदारी नहीं है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी में इस दिन के महत्व के बारे में जागरूकता लायें और उसे देश से भावनात्मक रूप से जोड़ें.
आज हमें चाहिए कि हम पूरे जोश-ओ-खरोश से स्वयं भी अपने शहीदों को याद करें और अपनी पीढ़ी को भी उनके बलिदान का महत्व समझा कर उन्हें भी इसे पूरे उत्साह से मनाने को प्रेरित करें.
''स्वतंत्रता दिवस की सभी भारतीयों को बहुत बहुत शुभकामनायें,
सभी असमंजस छोड़ पूरे उत्साह से मिल कर इसे मनाएं.''
शालिनी कौशिक
टिप्पणियाँ
जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी’’
‘‘स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं...’’
हमारी कामना है कि आप हिंदी की सेवा यूं ही करते रहें।
ब्लॉगर्स मीट वीकली 4 में आप सादर आमंत्रित हैं।
बेहतर है कि ब्लॉगर्स मीट ब्लॉग पर आयोजित हुआ करे ताकि सारी दुनिया के कोने
कोने से ब्लॉगर्स एक मंच पर जमा हो सकें और विश्व को सही दिशा देने के लिए अपने
विचार आपस में साझा कर सकें। इसमें बिना किसी भेदभाव के हरेक आय और हरेक आयु के
ब्लॉगर्स सम्मानपूर्वक शामिल हो सकते हैं।
स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
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दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/