आधार अनिवार्य करे सुप्रीम कोर्ट


''आधार से सम्बंधित किसी भी प्रकार के आंकड़े बिना सम्बंधित व्यक्ति की सहमति के किसी अन्य प्राधिकरण से साझा नहीं किये जाने चाहियें '' ये कहकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर सरकार से आधार कार्ड की अनिवार्यता ख़त्म करने को कहा है जबकि अभी कल ही की बात है शरद पंवार जी द्वारा ''स्याही मिटाओ और दोबारा वोट डालो ''
का आह्वान चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता के उल्लंघन हेतु संज्ञान में लिया जा रहा था और यह मात्र शरद पंवार जी के आह्वान पर होने वाला कार्य नहीं है अपितु यह हमारे देश के नागरिकों द्वारा अभ्यास से किया जा रहा है और उनके लिए वोट डालने के बाद स्याही को ऊँगली से छिड़ककर साफ कर देना एक शौक बन चुका है .
लोकतंत्र जनता की सरकार कही जाती है और जनता का एक वोट देश की तकदीर बदल सकता है किन्तु जनता यहाँ जितनी ईमानदारी से अपना कर्त्तव्य निभाती है सब जानते हैं .पहले जब वोटर आई.डी. कार्ड नहीं होता था तब एक ही घर से राजनीति में भागीदारी के इच्छुक लोग ऐसे ऐसे लोगों के वोट बनवा लेते थे जिनका दुनिया में ही कोई अस्तित्व नहीं होता था फिर धीरे धीरे फोटो पहचान पत्र आये और इनके कारण बहुत सी वोट ख़त्म हो गयी किन्तु वोट के नाम पर की जाने वाली धांधली ख़त्म नहीं हुई .बहुत से ऐसे वोटर हैं जिनके पास एक ही शहर में अलग अलग पतों के वोटर कार्ड हैं और यही नहीं ऐसी बेटियों की वोट अभी भी वर्त्तमान में है जिनकी शादी हो गयी और वे अपने घर से विदा हो गयी और ऐसे में उनकी वोट मायके वाले भी रखते हैं और ससुराल वाले भी और वे दोनों जगह ही अपने फोटो पहचान पत्र के साथ अपना सिर गर्व से उठाकर वोट करती हैं किन्तु ये हमारे लोकतंत्र के साथ कितना बड़ा धोखा है जहाँ चालबाजियां चलकर उम्मीदवार व् उनके समर्थक अपनी वोट बढ़ा लेते हैं ऐसे में आधार कार्ड ही वह सफल योजना है जिसके दम पर इस तरह की धांधलियों को रोका जा सकता है क्योंकि ये सारे देश में एक ही होता है .आदमी चाहे यू.पी. का हो या पंजाब का और फिर ये केवल एक वोट की बात नहीं और भी बहुत सी सरकारी योजनाओं की बात है .सरकार की बहुत सी योजनाएं ऐसी हैं जिनका लाभ सभी लोगों तक नहीं पहुँच पाता  उसका कारण भी यही है कि कुछ चालबाज लोग इस तरह की धांधलियों से उन योजनाओं का लाभ हड़प जाते हैं .वे एक ही व्यक्ति को कई व्यक्ति साबित कर देते हैं और उसे बार बार वह लाभ दिलाकर अपने लिए सरकारी पैसा जमा कर लेते हैं .
ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को आधार कार्ड की अनिवार्यता को ख़त्म करने का नहीं अपितु सरकार को उसे जल्दी पूरा करने का निर्देश देना चाहिए तभी सरकार जनता की सही हितैषी हो सकती है और सुप्रीम कोर्ट सही रूप में न्याय की संरक्षक क्योंकि न्याय केवल होना ही नहीं चाहिए बल्कि वह दिखना भी चाहिए और वह तभी सम्भव है जब कि व्यक्ति का एक ही अस्तित्व हो न कि स्याही मिटाकर दूसरा .
शालिनी कौशिक
[कौशल ]


टिप्पणियाँ

Unknown ने कहा…
SAHLINI JEE APKI BAAT BULKUL UCHIT HAI ADHAR CARD KA VASTVIK LABH JAB HI HOGA JAB ISKA VYAPAK ISTEMAL KIYA JA SAKE.NAYI TECHNOLOGY DVARA HI HAR KSHETR MEN SHUCHITA,AUR PAR DARSHITA LAYI JA SAKTI HAI
ऐसी कितनी ही चीज़ें सरकार ने शुरू कि हैं पिछले ६० सालों में ... पर कोई भी सफल नहीं हो पाई ...
मोहम्मद तुगलक का प्रेत लगता है हमारी सियासत में ज़िंदा है !
आशीष अवस्थी ने कहा…
बहुत बढ़िया व काम की जानकारी , शालिनी जी धन्यवाद !
नया प्रकाशन -: बुद्धिवर्धक कहानियाँ - ( ~ प्राणायाम ही कल्पवृक्ष ~ ) - { Inspiring stories part -3 }
Himkar Shyam ने कहा…
आधार कार्ड की व्यावहारिकता को लेकर दो तरह के विचार सामने आते रहे हैं. कुछ लोग इसके पक्ष में है और कुछ इसके विरोध में. आधार कार्ड को लेकर कई तरह के सवाल भी खड़े होते रहे हैं. आधार कार्ड एक बेहतर व्यवस्था हो सकती है बशर्ते कि आधार कार्ड बनवाने में पारदर्शिता बरती जाये इसमें कोई फर्जीवाड़ा न हो.

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