.....पर मोदी घबराये ,

 
राजनीति की भांग से भाजपाई मदहोश ,
मोदी चाय पीने को खो रहे अपने होश .
...............................
अटल पड़े एकांत में मांगें सबकी खैर ,
शुकर करें भगवान् का बने जो अबके गैर .
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लाल कृष्ण की आँख से नित्य बहता नीर ,
मोदी लहर के अंधों को दिखे न उनकी पीर .
.......................................
जोशी सुरीली बांसुरी हो गयी अब बेसुर ,
आर.एस.एस.ने छीन ली वो आवाज़ मधुर .
......................................
टंडन बिलखत फिर रहे बातें करें उखड ,
अध्यक्ष जी ने आगे बढ़ काटी उनकी जड़ .
..........................................
जेटली ए.सी.कमरे से खुली धूप में आये ,
शायद मोदी डोर से लोकसभा मिल जाये .
..................................................
अपनी लहर है बह रही पर मोदी घबराये ,
काशी सुकून होगी दल की उन्हें तो घर ही भाये .
...................
शालिनी कौशिक 
   [कौशल ]

टिप्पणियाँ

सटीक प्रस्तुति...!
सपरिवार रंगोत्सव की हार्दिक शुभकामनाए ....
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