ये है खुलेआम धमकी


मोदी लहर में  ''हवा में उड़ता जाये मेरा लाल दुपट्टा  मलमल का '' की तर्ज़ पर लहराती इठलाती भाजपा ''यहाँ के हम सिकंदर ,चाहें तो रखें सबको अपनी जेब के अंदर ''गाने में मस्त थी की एकाएक लहर ने दिशा पलट दी ,फूलों के झौंके पत्थरों के टुकड़ों समान हो गए और भ्रम में डूबे भाजपाइयों के हंसगुल्लों की चाशनी इतनी मीठी हो गयी कि मुंह कड़वा करने लगी ऐसा हुआ तब जब भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार श्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव आयोग द्वारा अनिवार्य किये जाने पर बाध्य होकर अपनी वास्तविक स्थिति ,जो वैवाहिक की थी को नामांकन पत्र में भरा  ,उस वैवाहिक स्थिति को जिसे वे अपने चार विधानसभा चुनावों में नकारते आ रहे थे और जिसका खुलासा कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह जी ने किया नहीं तो संभव था कि वे अब भी चुनाव आयोग के निर्देश को दरकिनार कर स्वयं को अविवाहित दिखा देते क्योंकि चुनाव आयोग की उनके सामने क्या प्रास्थिति है सब जानते हैं और ऐसा वे और भाजपा इस बार ७ अप्रैल को अपना घोषणापत्र जारी कर दिखा चुके हैं .
अब जब प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के नशे में झूमते मोदी जी द्वारा स्वयं को श्रेष्ठ ,काबिल ,ईमानदार और हर तरह से इस कुर्सी का सशक्त दावेदार दिखाया जाता है तो विरोधी पार्टी द्वारा हमले स्वाभाविक हैं और कॉंग्रेस द्वारा तो निश्चित क्योंकि इस बार मोदी न देश बनाने का मुद्दा साथ लेकर चल रहे हैं और न ही भ्रष्टाचार मिटाने का, केवल एक ही लक्ष्य उनकी जुबां पर है और वह है ''कॉंग्रेस का खात्मा ''और ऐसे में कॉंग्रेस  उन्हें कैसे छोड़ सकती है ?कॉंग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इसकी कमान संभाली और कह दिया  -
[मैं नहीं जानता कि गुजरात के मुख्य मंत्री जी ने कितने चुनाव लड़े हैं लेकिन ये पहली बार है कि उन्होंने शपथपत्र में अपनी पत्नी का नाम दिया है। ][जम्मू के डोडा में युवा कॉंग्रेस नेता ने कहा -''दिल्ली में पोस्टरों में महिलाओं को सम्मान दिया जाता है किन्तु आज से पहले शपथपत्र में पत्नी को स्थान नहीं दिया गया। '']
क्या गलत कहा उन्होंने ?एक कॉंग्रेसी या भाजपाई के दृष्टिकोण से इतर देखते हुए अगर सोचा जाये तो एक एक बात सत्य व् सार्थक है उनकी ,मोदी की तरह सभ्यता की चाशनी में डूबे पोटेशियम साइनाइड की तरह नहीं और बौखला गयी भाजपा और आ गयी खुलेआम धमकी पर जिसे चुनाव आयोग जिसपर चुनावों के निर्देशन ,नियंत्रण व् अधीक्षण की ज़िम्मेदारी है स्वयं नहीं देखेगा ,देखेगा तब जब उससे शिकायत की जाएगी और शिकायत की वजह है भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद की खुलेआम धमकी जो कि उन्होंने अपनी बौखलाई हुई मुखमुद्रा में कुछ यूँ दी है -
 [चाहे कुछ भी हो पर भाजपा ने कांग्रेस नेताओं के अपने प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार पर व्यक्तिगत हमलों पर नाराजगी जताई है  उन्हें ऐसे विषय को उठाने पर गांधी परिवार के मुद्दों को उठाने की धमकी दी है। 
''यदि राहुल गांधी मोदी जी के जीवन के व्यक्तिगत मुद्दों को उठाएंगे तो हम भी गांधी परिवार के मुद्दों को उठा सकते हैं ,जो की हम नहीं करते। भाजपा के रविशंकर प्रसाद ने कहा। '']
भाजपा जनहित की बात करती है और अगर गांधी /नेहरू परिवार के ये मुद्दे जनता को जानने ज़रूरी हैं तो उन्हें अब तक जनता को क्यूँ नहीं बताया और जनता का इनसे कोई सरोकार नहीं है फिर मात्र गांधी /नेहरू परिवार को बदनाम करने का डर दिखाकर उन्हें चुप रहने के लिए कहना क्या वे स्वयं नहीं जानते कि ये क्या है -
धारा ५०३ भारतीय दंड संहिता कहती है -जो कोई किसी अन्य व्यक्ति के शरीर ,ख्याति या संपत्ति को ,या किसी ऐसे व्यक्ति के शरीर या ख्याति को जिससे कि वह व्यक्ति हितबद्ध हो ,कोई क्षति करने की धमकी उस अन्य व्यक्ति को इस आशय से देता है कि उसे संत्रास कारित किया जाये  ,या उससे ऐसी धमकी के निष्पादन का परिवर्जन करने के साधन स्वरुप कोई ऐसा कार्य कराया जाये ,जिसे करने के लिए वह वैध रूप से आबद्ध न हो ,या किसी ऐसे कार्य करने का लोप कराया जाये ,जिसे करने के लिए वह वैध रूप से हक़दार हो ,वह ''आपराधिक अभित्रास'' करता है  .
 स्पष्टीकरण-किसी ऐसे मृत व्यक्ति की ख्याति को क्षति करने की धमकी ,जिससे वह व्यक्ति ,जिसे धमकी दी गयी है ,हितबद्ध हो ,इस धारा के अंतर्गत आता है .
धारा ५०६ -जो कोई आपराधिक अभित्रास का अपराध करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से ,जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी ,या जुर्माने से ,या दोनों से दण्डित किया जायेगा .
        तथा यदि धमकी मृत्यु या घोर उपहति कारित करने की या अग्नि द्वारा किसी संपत्ति का नाश कारित करने की या मृत्युदंड से या आजीवन कारावास से या सात वर्ष की अवधि तक के कारावास से दंडनीय अपराध कारित करने की ,ये किसी स्त्री पर असतीत्व का लांछन लगाने की हो ,तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से ,जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी ,या जुर्माने से ,या दोनों से दण्डित किया जायेगा . 
        अब ये चुनाव आयोग को देखना है कि भाजपा के रविशंकर प्रसाद की इस बौखलाहट को तवज्जो दी जाये या इस देश के कानून को .भारतीय राजनीति का स्तर गिर रहा है अब राजनीतिज्ञ टिप्पणियों से कानून के खुलेआम उल्लंघन पर आ गए हैं और ऐसे में भारतीय लोकतंत्र की गरिमा को बनाये रखना ज़्यादा ज़रूरी है और ऐसे में रविशंकर प्रसाद पर उनके द्वारा इस तरह के कथनों के इस्तेमाल पर त्वरित कार्यवाही होनी ही चाहिए क्योंकि भारतीय संविधान अभिव्यक्ति  की स्वतंत्रता देता है आपराधिक अभित्रास या ब्लैकमेलिंग की नहीं .
शालिनी कौशिक 
    [कौशल]


टिप्पणियाँ

virendra sharma ने कहा…
पत्नियों को बैंगन की तरह तंदूर में भूनने की परम्परा जिस कांग्रेस की है:


वही आज नरेंद्र मोदी से पत्नी का

नाम

छिपाए रखने की वजह पूछ रही है। कांगेस हाईकमान की पादुकाएं चाटने वाले कई वकील उकील मुस्कुराते

हुए इस मुद्दे पे भले कुछ भी पूछते रहें हैं। उन्हें जनता को यह भी बताना चाहिए की सोनिया माइनो ने

प्रधानमन्त्री के पद को एक कठपुतली के पद में क्यों और कैसे बदल दिया था?क्या ये लोग भी उस संविधानिक

पद को बे -मानी बनाने में मूक समर्थक थे ?

"हर हाथ को शक्ति हर हाथ को तरक्की "देने का वायदा करने वाली कांग्रेस युवाओं को शक्ति तो क्या देगी

उनके हाथ से बची खुची शक्ति भी छीन लेगी। जिसने प्रधानमंत्री के हाथों से सारी ताकत छीन ली वह आम

आदमी के हाथ पे

कुछ रखेगी ?उसका हाथ तो निरंतर उसकी जेब में ही रहेगा।

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की जनता जानना चाहती है वह कौन सी ताकतें थीं जिन्होनें राजीव गांधी की हत्या करवाई थी और इस हत्या

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