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2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पूंजीवादी पंजे में कैद बार कौंसिल ऑफ़ उत्तर प्रदेश की चुनाव प्रकिया

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         बार कौंसिल ऑफ़ उत्तर प्रदेश के 2025-26 के चुनावों के लिए नामांकन का कार्य आरम्भ हो चुका है. बड़े स्तर पर लगभग 3 महीने से सदस्य पद के प्रत्याशी प्रचार कार्य का श्री गणेश कर चुके हैँ. जगह जगह कचहरी में लगे हुए प्रत्याशियों के पोस्टर इसकी गवाही दे रहे हैँ. उत्तर प्रदेश बार काउंसिल का चुनाव वकीलों के सबसे बड़े लोकतांत्रिक चुनावों में से एक माना जाता है. इस चुनाव में अधिवक्ता केवल एक ही श्रेणी के पद के लिए मतदान करते हैं. ये पद बार काउंसिल के सदस्य होते हैं. प्रदेश में कुल 25 सदस्यों का चुनाव किया जाता है.       मतदाता अधिवक्ताओं का सीधा वोट सिर्फ बार काउंसिल के सदस्यों के लिए ही डाला जाता है. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए अलग से चुनाव नहीं होता.प्रदेश भर के वकीलों को अपनी सर्वोच्च संस्था के लिए अध्यक्ष या उपाध्यक्ष प्रत्यक्ष रूप से चुनने का अधिकार नहीं होता. चुने गए 25 सदस्य ही अपने बीच वोटिंग कर दोनों पदों का चयन करते हैं. बार काउंसिल में चेयरमैन, वाइस चेयरमैन, अनुशासन समितियों के चेयरपर्सन, वित्त, चुनाव, नामांकन और कल्याण जैसी स्थायी समिति...

उज्ज्वल राणा अमर रहे

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आज निर्मम, असभ्य, अहंकारी प्रदीप कुमार के कारण मासूम उज्ज्वल राणा की तेरहवीं हो रही है, क्या कर रहा था बेचारा, परीक्षा देना चाहता था, फीस जमा करने के लिए समय मांग रहा था.बेचारे को मालूम नहीं था कि हर ओर ऐसे ही दुष्ट बैठे हुए हैँ किस किस के कारण बलि दी जाएगी, दुष्ट का मुकाबला कीजिये किन्तु जीना जरूरी है अपनों के लिए, अपनों की जिंदगी में खुशियों के लिए, इसलिए भी कि ऐसे दुष्ट अन्य मासूमों की बलि न चढ़ा सकें.आप अगर आज इन दुष्टों के कारण मौत को गले लगाते हो, तो आप अंतिम नहीं हो, ये दुष्ट कल को अपना नया शिकार कोई दूसरा मासूम ढूंढ़ लेंगे, इसलिए लड़ो मगर पलायन मत करो जिंदगी से. उज्ज्वल राणा को भावपूर्ण श्रद्धांजलि,उज्ज्वल राणा अमर रहें 💐🙏💐 द्वारा  शालिनी कौशिक  एडवोकेट  कैराना (शामली )

जाट समुदाय कमजोर साबित हुआ

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 देश के प्रधानमंत्री पद तक पहुँचने वाले स्व चौधरी चरण सिंह जी जैसे नेता का समुदाय "जाट बिरादरी " उनके पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही आज कितनी कमजोर पड़ गई, जाट समुदाय के होनहार बेटे "उज्ज्वल राणा "को डी ए वी (पी जी )कॉलेज बुढ़ाना के प्रिंसिपल प्रदीप कुमार और प्रबंधक अरविंद गर्ग ने मौत को गले लगाने के लिए मजबूर कर दिया और जाट समुदाय 48 घंटे के अंदर आरोपियों की गिरफ्तारी के आश्वासन पर धरने से उठ गया, क्या इस तरह न्याय दिलवा पायेगा जाट समुदाय निर्दोष "उज्ज्वल राणा "को?         प्रदीप कुमार और अरविंद गर्ग की गिरफ्तारी होने तक धरना स्थल खाली नहीं होना चाहिए था, अपने बेटे उज्ज्वल के अंतिम शब्दों को ही दिल में रख लेते " मैं गलत नहीं था. " द्वारा   शालिनी कौशिक  एडवोकेट  कैराना (शामली )

सीता चौक, कांधला परेशानी में

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  आज देश में बढ़ते जा रहे वाहनों की संख्या ने आम आदमी की जिंदगी में अनगिनत समस्याओं में इज़ाफ़ा कर दिया है. स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. आज लोगों के पास वाहन खरीदने के लिए बहुत पैसा आ चुका है और उस पैसे से धड़ल्ले से वाहनों की विशेष रूप से कारों की खरीदारी की जा रही है किन्तु समस्या यह नहीं है कि लोग कारें खरीद रहे हैँ, समस्या यह है कि उनके पास कारों के ख़डी करने के लिए गैराज नहीं है, व्यक्तिगत उपयोग के बाद ये वाहन स्वामी अपनी गाड़ियां दूसरों के घरों के आगे कई कई दिनों तक ख़डी करके चले जाते हैँ जिसके कारण गृह स्वामी के लिए अपने घर के आगे की खुली सडक पर आना जाना या सब्जी आदि सामान का खरीदना भी दूभर होता जा रहा है.        सीता चौक कांधला पर स्थित आवास श्री कौशल प्रसाद एडवोकेट के आगे 24 घंटे वाहनों की बढ़ती जा रही संख्या ने मुख्य द्वार का खोलना, खिड़की का खोलना सब मुश्किल कर दिया है. सीता चौक के आगे का रास्ता मेन बाजार की ओर जाता है और बाजार में दुकान करने वाले व्यापारी, बाजार से सामान खरीदने वाले यहाँ अपनी गाड़ियां ख़डी कर कई कई घंटो तक लापता हो जाते हैँ जिनके कारण या त...

प्रदीप कुमार को गिरफ्तार करो.

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एक तरफ  8 और 9 नवम्बर को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) द्वारा लीगल सर्विसेज डे मनाया जाता है. कार्यक्रम में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भी शिरकत करते हैँ और कहते हैँ कि  ' तकनीक बदल सकती है व्यवस्था, अगर उसका फोकस जनता पर हो' चीफ़ जस्टिस बी.आर. गवई महात्मा गांधी के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहते हैं कि — “जब भी कोई निर्णय लेने में संदेह हो, तो सबसे गरीब और कमजोर व्यक्ति का चेहरा याद करें और सोचें कि आपका निर्णय उसके किसी काम आ पाएगा या नहीं।” उन्होंने कहा कि यही विचार कानूनी सहायता आंदोलन का सच्चा सार है।"     और दूसरी तरफ शिक्षा के संस्थान "डी ए वी (PG) कॉलेज, बुढ़ाना (मुजफ्फरनगर) में एक छात्र उज्ज्वल राणा कॉलेज में अपनी क्लास में ही पेट्रोल डालकर खुद को आग लगा रहा है, किस लिए, मात्र 7 हजार रूपये फीस के जमा न कर पाने के कारण, छात्र कह रहा था कि गन्ना भुगतान के लिए 1 हफ्ते का समय देते हुए कॉलेज प्रशासन उसका फॉर्म जमा कर ले ताकि उसकी परीक्षा न छूटे, लेकिन कॉलेज प्रशासन इसके लिए तैयार नहीं होता, ऊपर से पूरे क्षेत्र में अभद्र व्यवहार के लिए प्रसिद्ध प्राचार्य ...

गुरुनानक का सन्देश

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 महान संत गुरुनानक देव जी ने जीवन का महत्वपूर्ण सन्देश दिया है कि- "He who has no faith in himself can never have faith in God."        इसलिए अगर हम कहते हैँ कि हम भगवान में विश्वास रखते हैं तो पहले हमें खुद पर विश्वास रखना होगा क्योंकि जब तक हम अपनी समस्या का समाधान खुद नहीं कर सकते, भगवान हमारी समस्या दूर करने नहीं आएंगे क्योंकि ये भी कहा गया है कि - "God help those who helps themselves." द्वारा  शालिनी कौशिक एडवोकेट  कैराना (शामली )

क्या केवल प्रशासनिक पद पर बैठी बेटी ही मजबूत है -मिशन शक्ति अभियान पर सुलगता सवाल शालिनी कौशिक एडवोकेट का

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      उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के मार्गदर्शन में ''महिलाओं तथा बच्चों की सुरक्षा, सशक्तिकरण व सम्मान'' के उदद्देश्यों के साथ ''मिशन शक्ति'' के रूप में वृहद अभियान की शुरुआत की गई. मिशन शक्ति अभियान के पहले चरण की शुरूवात 17 अक्टूबर 2020 को की गई थी. मिशन शक्ति अभियान के 4 चरणों में सफल संचालन के पश्चात् मिशन शक्ति फेज-5, उत्तर प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान, स्वावलंबन, स्वास्थ्य और सशक्तिकरण के लिए शुरू किया गया, जिसकी शुरुआत 20 सितंबर 2025 को हुई थी। यह अभियान महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और समाज में उनकी भागीदारी को बढ़ाने पर केंद्रित है, जिसमें स्वास्थ्य हेल्पलाइन का शुभारंभ, 'बीसी सखी' जैसी योजनाओं से जोड़ना और पुलिस द्वारा जागरूकता कार्यक्रम चलाना शामिल है।        अभी तक के मिशन शक्ति अभियान के यदि हम पांचो चरणों की बात करें तो हम पाते हैं कि इस अभियान में महिला शक्ति को प्रशासनिक क्षेत्र में ही आगे बढ़ाने का आदर्श स्थापित किया गया है - ✒️ अमरोहा : मिशन शक्ति के तहत, एमएस सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छा...

नारी अधिक मजबूत

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कोरियर सर्विस को सदैव मात देती भारतीय डाक सेवा

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        भारतीय डाक सेवा की स्थापना एक अप्रैल 1854 को हुई थी लेकिन सही मायनों में इसकी स्थापना एक अक्तूबर 1854 को मानी जाती है। तब तत्कालीन भारतीय वायसराय लॉर्ड डलहौजी ने इस सेवा का केंद्रीकरण किया था। उस वक्त ईस्ट इंडिया कंपनी के अंतर्गत आने वाले 701 डाकघरों को मिलाकर भारतीय डाक विभाग की स्थापना हुई थी। हालांकि इससे पहले लॉर्ड क्लाइव ने अपने स्तर पर 1766 में भारत में डाक व्यवस्था शुरू की थी। इसके बाद बंगाल के गवर्नर वॉरेन हेस्टिंग्स ने 1774 में कोलकाता में एक प्रधान डाकघर बनाया था। अंग्रेजों ने इस सेवा की शुरुआत अपने सामरिक और व्यापारिक हितों के लिए की थी। मगर यह देश की आजादी के बाद भारतीयों के लिए सुख-दुख की साथी बन गई। भारत में पोस्ट ऑफिस को प्रथम बार 1 अक्टूबर 1854 को राष्ट्रीय महत्व के पृथक रूप से डायरेक्टर जनरल के संयुक्त नियंत्रण के अर्न्तगत मान्यता मिली। 1 अक्टूबर 2004 तक के सफ़र को 150 वर्ष के रूप में मनाया गया। डाक विभाग की स्थापना इसी समय से मानी जाती है। इंडिया पोस्ट भारत में सरकार द्वारा संचालित डाक प्रणाली है, जो संचार मंत्रालय के तहत डाक विभाग का हिस्सा...

हाई कोर्ट बेंच आंदोलन के समर्पित कार्यकर्त्ता थे बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी

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   In the movement of the Western Uttar Pradesh High Court Bench, President Bar Association Kairana Babu Kaushal Prasad Advocate ji was associated with the Sangharsh Samiti along with the entire organization. In Babuji's time every call of the Sangharsh Samiti was followed, every movement was taken and every instruction was followed literally. In August 1995, in connection with the High Court Bench, the advocates of Meerut Bar Association went to Lucknow to meet the Chief Minister of Uttar Pradesh, Mayawati ji , but returned disappointed, after that they called a meeting of the Sangharsh Committee on 2 September 1995 under the aegis of the Sangharsh Samiti, in which the decision was taken to boycott of courts of western Uttar Pradesh, Meerut bandh was decided on 8 September 1995 on the arrival of Mayawati ji for the establishment of the Bench President Bar Association Kairana Babu Kaushal Prasad Advocate ji also joined the delegation of Bar Association Kairana, expressing his ...

Work for kandhla - gas - 2.4.88

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Babu Kaushal Prasad Advocate ji was not only a great advocate but also a conscious consumer. The work of supplying gas in Kandhla started in the year 1988, before that Mrs. Bina Kaushik, the wife of Babu Kaushal Prasad Advocate, had brought ISI mark stove from her maternal home in Bareilly and the gas cylinder used to come from Meerut. When Super Gas Service started working in Kandhla, he made it a rule that the stove should also be taken from Super Gas Service, then Babuji as Wrote a letter to Mr. Ashok Suri, Deputy Manager, LPG Sales, Hindustan Petroleum Corporation Limited, New Delhi dated 02 April 1988  "Regarding the release of LPG connection by Super Gas Service Kandhala (Muzaffarnagar), in which he said - " *- That the following signatory contacted your agent Ratan Singh Nirwal on 25.03.88, then he said that if you have a stove, it will be inspected. *- This is to draw your attention to your letter dated 07.07.1987, through which you have informed Mr. Niranjan Swaroop ...

श्री कौशल प्रसाद एडवोकेट : प्रेरणादायी व्यक्तित्व -मौ अजमल एडवोकेट

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स्व. बाबू कौशल प्रसाद शर्मा एडवोकेट जी के समय में में प्रैक्टिस में तो नहीं था, क्योंकि मैं खुद बहुत छोटा था। मैं स्वयं बार एसोशिएशन कैराना जनपद शामली में आने से पूर्व से ही बाबू जी के पड़ोस में मेरा घर होने के कारण बाबूजी को जानता था और कचहरी में भी मैंने देखा कि बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी मेहनती, ईमानदार और संघर्षशीलता की मिसाल थे. बाबू जी के बारे में यह बात कि बाबूजी के समय में किसी भी अधिवक्ता को कभी किसी प्रकार की समस्या बाबूजी ने नहीं होने दी, इसलिए मैं मानता हूँ कि वो समय 'सुनहरा' रहा होगा. जब कभी मैं सुबह में बाबू जी के घर की तरफ से कभी जाता था, तो सुबह में ही बाबू जी स्वयं अपने कचहरी समय से पहले, अपने बगीचे में लगें पेड़-पौधो की नुलाई (पानी देना) करकर जाते थे, उन्हे पेड़-पौधो से बड़ा प्रेम था। मैं स्वयं उनसे बहुत प्रेरित हुआ हूँ। मौ. अजमल एडवोकेट जिला एवं सत्र न्यायालय शामली स्थित कैराना

बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट के संपूर्ण जीवन के समर्पण को कठघरे में खड़े करने की नकारात्मक प्रवृत्ति के गर्भ से हुआ इस पुस्तक का सृजन -डॉ शिखा कौशिक 'नूतन '

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  भूमिका पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।  पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवता ।। अर्थात पिता ही थर्म है, पिता ही स्वर्ग है और पिता ही सबसे श्रेष्ठ तप है। पिता के प्रसन्न हो जाने पर सम्पूर्ण देवता प्रसन्न हो जाते हैं। 'पद्मपुराण' का यह श्लोक एक संतान के जीवन में पिता की महत्ता को प्रतिपादित करने के लिए पर्याप्त है। पिता शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के मूल शब्द 'पितृ' से हुई है। इस शब्द की व्युत्पत्ति 'पा' धातु से हुई है जिसका अर्थ होता है- रक्षा करना तथा पालन करना। ऋग्वेद की ऋचा में पिता को समस्त कल्याण व करुणा का प्रतीक घोषित किया गया है। पिता हमारे जीवन के दाता ही नहीं वरन मार्गदर्शक भी हैं। पितृ प्रधान समाज में हमारा परिचय हमारे पिता के नाम से ही कराया जाता है। समाज व हमारे बीच की कड़ी पिता ही हैं। हम उनकी ऊंगली पकड़ कर चलना ही नहीं सीखते बल्कि उनके जीवन के अनुभवों से अपने जीवन की दिशा भी निर्धारित करते हैं। कैथरीन पल्सिफेर ने सत्य ही कहा कि "पिता, पिताजी, पापा चाहे आप उन्हें कुछ भी करें, वे हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं और वे वही व्यक्ति हैं ...

आज कौशलप्रसाद जी हमारे मध्य न होकर भी उनकी स्मृतियों की सुगन्ध हर अधिवक्ता के दिल मे है -श्री योगेश कुमार शर्मा एडवोकेट

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  वास्तव में अधिवक्ता समाज जनमानस के साथ-साथ अपने समकक्ष और आने वाली पीढ़ी को दिशा-निर्देश देने की आबद्धता धारण करता है .यद्यपि एक अधिवक्ता की अन्य अधिवक्तागण के प्रति कोई आबद्धता नही होती लेकिन जहाँ सम्भाव्य कारण कुछ अधिवक्तागण तुलनात्मक रूप से अपना स्थान न बना पाते हों सतत अन्य अधिवक्तागण के समतुल्य न होना या न्यायिक गतिविधियों में अपने आप को सही से स्थापित न कर पाना ,यद्यपि यह क्रियात्मक रूप अधिवक्ता समाज में अधिकांशतः सामान्य है और इसके अभिभावी होने का एक मात्र कारण अधिवक्ता समाज की यह परम्परावादी मस्तिष्क की प्रकृति है कि युवा अधिवक्ता मानसिक व् संवेगात्मक रूप से सीनियर अधिवक्ता की अपेक्षा कमजोर होते हैं ,सम्भाव्य कारण अनेक हैं तथा सम्पूर्ण अधिवक्ता समाज में विविध रुप से व्याप्त हैं . अधिकांशतः कुछ अधिवक्तागण इसी उपेक्षा के शिकार होकर रह जाते हैं और इस विभीषिका से त्रस्त होकर सम्पूर्ण विकास को प्राप्त नही हो पाते .ऐसी परिस्थिति में प्रत्येक अधिवक्ता का यह दायित्व भी होता है कि वह अपने समकक्ष या युवा अधिवक्ता को इस विभीषिका से ग्रसित न होने दे ...

मान्यवर कौशल प्रसाद जी की उदात्त आत्मा के प्रति नमन -सन्तोष खन्ना प्रधान संपादक, 'महिला विधि भारती', पत्रिका विधि भारती परिषद्‌ दिल्ली

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शुभकामना संदेश यह अतीव प्रसन्नता का विषय है कि डा शिखा कौशिक नूतन और शालिनी कौशिक अपने पिताश्री स्वर्गीय श्री कौशल प्रसाद पर एक पुस्तक तैयार कर रहीं है जिसमें वे दोनों अपने पिताश्री के व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित करते हुए उनकी स्मृति को चिर स्थाई बनाने का प्रयास कर रही हैं। पुस्तक का 'कंटक पथ नंगे पांव' शीर्षक से प्रणयन कर उसे प्रकाशित किया जा रहा है और यह शीर्षक ही स्वयं में बहुत कुछ संकेत दे देता है। इस महत् कार्य से वे अपने पिताश्री की मधुर स्मृति के प्रति अपने स्नेह सुमन अर्पित करेंगी। इस प्रकार का पुनीत कर्म वहीं करता है जिसे अपने जनक से सुंदर संस्कार मिले हों। यद्यपि मुझे उनके पिताश्री से मिलने का सुअवसर कभी नहीं मिला, किंतु मैं जितना शिखा और शालिनी को जानती हूं उससे यह विश्वासपूर्वक कह सकती हूं कि माननीय कौशल प्रसाद, जो पेशे से एक वकील थे, बहुत ही सहज, सरल और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे। अपने व्यवसाय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें अपने साथी अधिवक्ताओं, मुविक्कलों आदि में सहज ही लोकप्रिय बना दिया था और वह न्यायालय में हर मुकदमें में पूरी तैयारी के साथ पेश होते...

मैं इस शीर्षक से ही अनुमान लगा सकती हूं कि पापा ने कितने संघर्ष किए होंगे- Ranjna Niraula (Famous Writer & Media Personality) Kathmandu, Nepal

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Ranjna Niraula (Famous Writer & Media Personality) Kathmandu, Nepal  A daughter born as the dream of a father's eye, becoming the eyes of her father, is bringing her ideal father to life through words, what can be a greater gift of affection towards her father! I salute such girls from the bottom of my heart. How touching is the name of this book, how symbolic, how imagery - (कंटक पथ पर नंगे पांव) Barefoot on the Path of thorns . I can guess from the title itself how much struggle Papa must have gone through, walking barefoot in a world like thorns .I think this book based on the life of the most respected Babu Kaushal Prasad ji will be an inspiration to all and a guide for the new generation. Dear Shikha ji, both of you have done an exemplary and commendable work for the society and related field by presenting your father's contribution and struggle in words. This book will become a milestone on the subject and a source of inspiration for the readers. I feel proud on the g...

माता पिता के अवदान अमूल्य होते हैं, हम कभी उनसे उऋण नहीं हो सकते-प्रो. मंगला रानी

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  प्रो. मंगला रानी 'मनीषा', शारदापुरम् पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना प्रोफेसर्स कॉलोनी कंकड़बाग, पटना- 20 माता पिता के अवदान अमूल्य होते हैं, हम कभी उनसे उऋण नहीं हो सकते। डॉ. शिखा कौशिक एवं शालिनी कौशिक जी ऐसी भाग्यशाली बेटियाँ हैं, जिन्हें ईश्वर से अपने विद्वान पिता के लिये कुछ करने की प्रेरणा मिली है। जन्म देने वालों के सपनों को आगे बढ़ाने में, उनके कुछ छूट गये कामों को पूर्णता देने में यदि हम दो कदम भी आगे बढ़ते हैं, ईश्वर मार्ग प्रशस्त करता चलता है। आपकी पुस्तक 'कंटक पथ पर नंगे पाँव' साहित्य एवं समाज के लिये अवश्य ही वरदान साबित होगी, साथ ही पीढ़ियों के लिये प्रेरणा-स्रोत भी। डॉ. शिखा को मंचों पर बोलते हुए मुग्ध भाव से सुन चुकी हूँ, उनकी लिखी पुस्तक 'नूतन रामायण' पढ़ने का अवसर पा चुकी हूँ.... अब आपके पूज्य पिता बाबू कौशल प्रसाद जी के प्रति आपकी भावनाएँ और उनके अधिवक्ता रूप में किये गये आदर्श कार्य समझने का अवसर मिल रहा है। आपके काम मुझे अतिशय आनंदित करते रहे हैं, चाहे वह पुस्तकालय का निर्माण हो अथवा निरंतर शोध । आने वाली इस पुस्तक की आतुर प्रतीक्षा है। मेर...

वास्तव में एक अधिवक्ता का जीवन कांटों भरे पथ पर चलने जैसा ही है -मृगांका सिंह

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  संदेश मृगांका सिंह (भारतीय जनता पार्टी) दिनाँक 02/03/2022 प्रिय शालिनी, सर्वप्रथम मैं आपको बाबू कौशल प्रसाद जी के जीवन पर लिखी गयी पुस्तक 'कंटक पथ पर नंगे पाँव' के प्रकाशन के लिये बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ। वास्तव में एक अधिवक्ता का जीवन कांटों भरे पथ पर चलने जैसा ही है निश्चित रुप से यह पुस्तक नई पीढ़ी का मार्गदर्शन करने में सहायक होगी। इस पुस्तक में उत्कृष्ट उद्धरणों को संकलित कर वर्तमान संदर्भ में उनकी ग्राहयता तथा उनके महत्व को भी रेखांकित किया गया है। मैं आपके द्वारा इस कृति के माध्यम से सामाजिक दायित्वों के प्रति आपके समर्पण की प्रशंसा करती हूँ। शुभकामनाओं सहित। भवदीया (मृगांका सिंह)

पुस्तक के सफल प्रकाशन हेतु मेरी अशेष मंगल कामनायें -शिव किशोर गौड़

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Shiv Kishor Gour Co-Chaiman Mobile : 0917229999 Bar Council of Uttar Pradesh मुझे यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है कि दो दशक से अधिक समय तक बार एशोसिएशन कैराना के अध्यक्ष पद को सुशोभित करने वाले अधिवक्ता हित में जीवन समर्पित करने वाले बाबू कौशल प्रत्साद एडवोकेट की स्मृति में उनके जीवन व कार्यों पर आधारित ग्रन्थ "कंटक" पथ पर नंगे पांव-" Kaushal Prasad Synonymous with Truth" का प्रकाशन किया जा रहा है। मुझे आशा व पूर्ण विश्वास है कि इस पुस्तक में ऐसी पाठ्य सामग्री का समावेश किया जायेगा जिससे पाठकों को बाबू कौशल प्रसाद जी के व्यक्तित्व व विशेष रूप से अधिवक्ता समाज के लिए किये संघर्ष के विषय में प्रमाणित व प्रेरक सामग्री प्राप्त हो सकेगी। पुस्तक के सफल प्रकाशन हेतु मेरी अशेष मंगल कामनायें ।

अधिवक्ता परिवार सर्वोपरि रहा है आदरणीय बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी के लिए-विशाल गोयल एडवोकेट

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अपने लिए जिये तो क्या जिये। जिये तो हम जमाने के लिए।। उक्त लाईने सटीक बैठती है हमारे आदरणीय बाबू कौशल प्रसाद जी एडवोकेट के लिए। सम्पूर्ण जीवन मुफलिसी में बिताते हुए जो भी कार्य किये वह जन भावना में किये, अधिवक्ताओ के हित में किये। अपने परिवार को परिवार न मानते हुए अधिवक्ता परिवार उनके लिए सर्वोपरि रहा है। मैं स्वंय उनके साथ बार एसोसिएशन की कार्यवाही में रहा, उनका कार्य बार एसोसिएशन कैराना के प्रति सम्मानजनक रहा है। मैं जो भी बातें आज इस पत्र में लिख रहा हूँ, वह बाबूजी के आर्शीवाद स्वरूप मेरी लेखनी द्वारा स्वंय लिखी जा रही हैं। मुझे बहुत खुशी होती है, जब-जब उनकी याद में कुछ नये कार्य होते हैं। आज बाबूजी के जीवन पर लिखी जा रही किताब "कंटक पथ पर नंगे पांव" के लिए मेरे द्वारा दो शब्द लिखे गये हैं। मैं बहुत प्रसन्न महसूस कर रहा हूँ। भवदीय  विशाल कुमार गोयल  एडवोकेट  कैराना (शामली )

स्वयं के लिये कभी कुछ सोचा नहीं बड़े भाई बाबू कौशल प्रसाद जी ने -नरेंद्र गोयल एडवोकेट

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       मेरे आदरणीय पिता तुल्य बड़े भाई बाबू कौशल प्रसाद जी के बारे में मेरे पास कहने को शब्द नहीं हैं। जब भी उनका ध्यान मन में आता है. नेत्रों से अश्रु बहने लगते हैं। बार एसोसिएशन कैराना के प्रत्येक सदस्य को अपना छोटा भाई मानते हुए अधिवक्ता हित में कार्य करना उनका प्राथमिक कार्य रहा है। अधिवक्ताओं के हित में लड़ाई लड़ना हमेशा उनके मन में समाया हुआ था। स्वयं के लिये कभी कुछ सोचा नहीं परन्तु बार के प्रत्येक सदस्य के बारे में हमेशा कुछ नया सोचते थे। बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी के जीवन पर लिखी जा रही पुस्तक "कंटक पथ पर नंगे पांव के लिये लिखे जाने वाले शब्दों को लिखकर मैं प्रसन्न महसूस कर रहा हूँ। नरेंद्र गोयल  एडवोकेट  कैराना

पापा की सांसें शायद कैराना में ही अटकी रहती थी-पुत्री शालिनी कौशिक एडवोकेट

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पिता एक ऐसा सम्बन्ध, जिस पर एक बेटी की जिंदगी और सम्मान दोनों निर्भर करता है। मेरे पिता स्व. बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी इन दोनों ही कसौटियों पर पूरी तरह से खरे उतरे हैं। हमें उच्च शिक्षा दिलाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत किन्तु हमारी रुचि अभिरुचि में कभी कोई दखल नहीं रखने वाले थे मेरे पापा। हमारी शिक्षा का पूरा दायित्व हमारी माता जी संभालती थी। स्कूल व महाविद्यालय के शिक्षक व क्लर्क ऑफिस से पापा का परिचय रहता था। हमारी शिक्षिकाओं को भी यदि कभी कानूनी सहायता की आवश्यकता हुई तो वे पापा से मिली और पापा ने उनका कार्य कराने के लिए उन्हें कभी कैराना कचहरी के चक्कर नहीं काटने दिए किन्तु कभी पठन-पाठन या अंक बढ़ोतरी के संबंध में इस परिचय का उन्होनें अवैध लाभ लेने का प्रयास नहीं किया। पापा के स्वभाव की सहृदयता की न केवल हमारी शिक्षिकाएं बल्कि क्षेत्र के नागरिक मुक्त कंठ से प्रशंसा करते रहे हैं. ये पापा की सहृदयता का ही असर था कि हमारे राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में एक 'सैनी बहनजी' (विद्यालय में शिक्षिकाओं को दीदी और बहनजी कहने का ही नियम था) जो अपने पारिवारिक विषाद के कारण मानसिक संतुलन ...

स्वतन्त्र और निष्पक्ष विचारधारा के व्यक्तित्व थे कौशल प्रसाद जी -अरुण गर्ग

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कुमारी शालिनी कौशिक। मुझे यह जानकर बढी प्रसन्नता हुई कि आपके द्वारा अपने पिता श्री कौशल प्रसाद एडवोकेट पर एक पुस्तक छापी जा रही है। श्री कौशल प्रसाद जी को मैंने बहुत नजदीक से देखा और समझा है। वह एक स्वतन्त्र और निष्पक्ष विचारधारा के व्यक्तित्व थे। अपनी इसी खूबी के कारण वह एक लम्बे समय तक कैराना बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे। उनके साथ कई वर्षों तक कई-कई घंटे साथ बैठने का मौका मिलता रहा। उन्होंने मेरे द्वारा सम्पादित साप्ताहिक 'कांधला गजट समाचार पत्र के माध्यम से कस्बे की जन समस्याओं, चाहे वो नगर पालिका एवं पुलिस से सम्बन्धित रही, महिला महाविद्यालय की स्थापना एवं भूमि अधिग्रहण से ताल्लुक रखने वाली रही या किसी अन्य सरकारी विभाग को लेकर रही, उनको पूरी जोरदारी के साथ उठाया और 'कांधला गजट' को अपना निःस्वार्थ सहयोग देकर 'कांधला गजट' की जलती हुई व रास्ता दिखाने वाली, शमा को आलोचनाओं व व्यवधानों के तूफानों से बुझने नहीं दिया। "'कुछ खार कम तो कर गये गुजरे जिधर से वो " उनकी हमेशा यह सोच रही कि- "कलम का काम तो है बेजुबानों को जुबां देना  कलम से जुल्म के तलुए तो...

कैराना कचहरी के हर आदमी के दिल मे बसे हैं बाबू कौशल प्रसाद जी -बाबू बृज पाल जी

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  अभी पिछले दिनों बाबू बृज पाल जी से बात हुई, थोड़ी बातचीत के बाद पता चला कि वे छोटे भाई दीपक सैनी एडवोकेट जी के पिताजी हैं, पापा के बारे में बहुत जानकारी थी उनके पास, पर बहुत थोड़ी ही मैं सहेज पाई, उनके अनुसार कभी माननीय अब्दुल्ला खान जी कैराना कचहरी में जज रहे हैं, एक बार बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी उनकी कोर्ट में गए और उनसे किसी मुकदमे के बारे में मालूमात की जिसका उन्होंने कोई संतोष जनक उत्तर नहीं दिया तब बाबूजी ने उनसे कहा कवि हृदय तो पापा थे ही तो कुछ काव्यात्मकता के साथ कहा - " तुझको रखे राम तुझको अल्लाह रखे, दे दाता के नाम तुझको अल्लाह रखे" और यह कहकर कोर्ट से बाहर आकर हड़ताल की घोषणा कर दी और कह दिया कि खटौला यहीं बिछैगा।       हाई कोर्ट बेंच आंदोलन में जांच के मामले में बाबू बृज पाल जी के बयान होने थे, तब इलाहाबाद हाई कोर्ट से आए जस्टिस जैदी साहब के कंधे को थपथपाते हुए बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी ने कहा था कि न्याय कीजिए और यह कहने के बाद बृज पाल जी से बयान देने के लिए कहा और तब उन्होंने खुलकर बयान दिए थे.    बाबू बृज पाल जी के पास पापा से जुड़ी बह...

बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी कैराना की शान - सुशील कुमार एडवोकेट

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बाबू श्री कौशल जी कैराना की शान थे. उनके क़दमों पर कोई नहीं चल पाया है. वे जीवन भर बार एसोसिएशन कैराना के अधिवक्ताओं के लिए संघर्ष करते रहे और उन्होंने अधिवक्ताओं को कोर्ट में सम्मानित स्थान दिलाया था. आदरणीय बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी की मूर्ति कोर्ट परिसर में लगनी चाहिए ताकि आने वाले नए अधिवक्ताओं को उनसे सत्य और ईमानदारी के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिले, बाबूजी को मेरा सादर नमन      सुशील कुमार            एडवोकेट  जिला कोर्ट शामली     स्थित कैराना