मान्यवर कौशल प्रसाद जी की उदात्त आत्मा के प्रति नमन -सन्तोष खन्ना प्रधान संपादक, 'महिला विधि भारती', पत्रिका विधि भारती परिषद्‌ दिल्ली

शुभकामना संदेश

यह अतीव प्रसन्नता का विषय है कि डा शिखा कौशिक नूतन और शालिनी कौशिक अपने पिताश्री स्वर्गीय श्री कौशल प्रसाद पर एक पुस्तक तैयार कर रहीं है जिसमें वे दोनों अपने पिताश्री के व्यक्तित्व और कृतित्व को रेखांकित करते हुए उनकी स्मृति को चिर स्थाई बनाने का प्रयास कर रही हैं। पुस्तक का 'कंटक पथ नंगे पांव' शीर्षक से प्रणयन कर उसे प्रकाशित किया जा रहा है और यह शीर्षक ही स्वयं में बहुत कुछ संकेत दे देता है। इस महत् कार्य से वे अपने पिताश्री की मधुर स्मृति के प्रति अपने स्नेह सुमन अर्पित करेंगी। इस प्रकार का पुनीत कर्म वहीं करता है जिसे अपने जनक से सुंदर संस्कार मिले हों। यद्यपि मुझे उनके पिताश्री से मिलने का सुअवसर कभी नहीं मिला, किंतु मैं जितना शिखा और शालिनी को जानती हूं उससे यह विश्वासपूर्वक कह सकती हूं कि माननीय कौशल प्रसाद, जो पेशे से एक वकील थे, बहुत ही सहज, सरल और मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे। अपने व्यवसाय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें अपने साथी अधिवक्ताओं, मुविक्कलों आदि में सहज ही लोकप्रिय बना दिया था और वह न्यायालय में हर मुकदमें में पूरी तैयारी के साथ पेश होते थे और जिसका भी मुकदमा हाथ में लेते, उसे न्याय दिलाने के लिए जी जान से जुट जाते थे। कहने में यह सब सुगम लगता है परंतु वर्तमान में न्याय व्यवस्था में इसे निभाना सरल नहीं होता किंतु वे अपने अनथक परिश्रम से इसे कार्य रूप देने का सतत प्रयास करते थे और इसके साथ ही वे सदा सभी की यथासंभव सहायता करने के लिए तत्पर रहते थे।

उनकी बेटियां जीवन में उनकी त्याग और तपस्या की साक्षी रही हैं और उनके द्वारा स्थापित मानव मूल्यों को वे भी अपने जीवन में उतारने का प्रयास कर रहीं हैं। उनकी बेटी शालिनी अपने पिताजी की तरह अधिवक्ता हैं और वह उन्हीं की तरह अपने व्यवसाय के प्रति न केवल प्रतिबद्ध हैं बल्कि समाज सेवा के माध्यम से जन जन में जागृति का संचार करने में संलग्न हैं। डा शिखा कौशिक कालेज में शिक्षका तो हैं ही, एक उच्च कोटि की लेखिका भी हैं जिन्हें अपने लेखकीय अवदान के लिए सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थानों से कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। वे दोनों बहिनें अपने पिताश्री की स्मृति को चिरस्थाई बनाने के लिए समाजसेवा तो कर ही रही हैं, उनकी स्मृति में एक पुस्तकालय की स्थापना कर एक बहुत बड़ा पुनीत कार्य कर रही है। पुस्तकालय ज्ञान के आगार होते हैं। वे इस पुस्तकालय के माध्यम से जो ज्ञान का प्रचार प्रसार कर रही है उस के लिए वह साधुवाद की पात्र हैं। मैं मान्यवर कौशल प्रसाद जी की उदात्त आत्मा के प्रति नमन करते हुए मैं डा शिखा कौशिक नूतन और शालिनी कौशिक के प्रति अपनी असीम शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए उनका अभिनंदन करती हूं।

 सन्तोष खन्ना

प्रधान संपादक, 'महिला विधि भारती', पत्रिका विधि भारती परिषद्‌ दिल्ली।

विधि भारती परिषद VIDHI BHARATI PARISHAD (REGD.)

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