अधिवक्ता परिवार सर्वोपरि रहा है आदरणीय बाबू कौशल प्रसाद एडवोकेट जी के लिए-विशाल गोयल एडवोकेट

अपने लिए जिये तो क्या जिये।

जिये तो हम जमाने के लिए।।

उक्त लाईने सटीक बैठती है हमारे आदरणीय बाबू कौशल प्रसाद जी एडवोकेट के लिए।

सम्पूर्ण जीवन मुफलिसी में बिताते हुए जो भी कार्य किये वह जन भावना में किये, अधिवक्ताओ के हित में किये।

अपने परिवार को परिवार न मानते हुए अधिवक्ता परिवार उनके लिए सर्वोपरि रहा है। मैं स्वंय उनके साथ बार एसोसिएशन की कार्यवाही में रहा, उनका कार्य बार एसोसिएशन कैराना के प्रति सम्मानजनक रहा है। मैं जो भी बातें आज इस पत्र में लिख रहा हूँ, वह बाबूजी के आर्शीवाद स्वरूप मेरी लेखनी द्वारा स्वंय लिखी जा रही हैं। मुझे बहुत खुशी होती है, जब-जब उनकी याद में कुछ नये कार्य होते हैं। आज बाबूजी के जीवन पर लिखी जा रही किताब "कंटक पथ पर नंगे पांव" के लिए मेरे द्वारा दो शब्द लिखे गये हैं। मैं बहुत प्रसन्न महसूस कर रहा हूँ।

भवदीय 

विशाल कुमार गोयल 

एडवोकेट 

कैराना (शामली )

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