बार को बाबूजी जैसी शख्सियत दोबारा मिलना मुश्किल -संस्मरण- राकेश कौशिक एडवोकेट
बाबू कौशल प्रसाद जी !
एक ऐसा नाम जिसका स्मरण होते ही द्रढ़ निश्चयी,स्पष्ट वक्ता, बार के लिये समर्पित आदि अनेकों छवि उभरती है।
बाबू कौशल प्रसाद जी से मेरा संपर्क उस समय से था जब तक वकालत करने की सोची भी नही थी।मेरे बडे भाई डा० विनोद शर्मा काँधला में प्रसिद्ध चिकित्सक थे । उनसे बाबू कौशल प्रसाद जी छोटे भाई की तरह स्नेह करते थे और इन्हीं संबंधो के कारण वो मुझे भी छोटे भाई की तरह स्नेह करते थे। मैं उन्हें भाई साहब कहा करता था।
कैराना में एसीजेएम की कोर्ट की स्थापना हुई और कैराना ,शामली,थाना भवन व झिंझाना थानो का कार्य मुजफ्फरनगर से कैराना आ गया। इन थानों का आर्थिक अपराध के मुकदमे भी कैराना आये । मैं उस समय मुजफ्फरनगर न्यायालय में वकालत करता था तथा मुख्यत: आर्थिक अपराधों के मुकदमे ही देखता था। काफी मुकदमें कैराना आ गये थे। केवल सोमवार व मंगलवार को इन मुकदमों की सुनवाई होती थी। इन मुकदमों के कारण सोमवार व मंगलवार को कैराना में नियमित आने लगा था ।
लगभग एक साल बाद मुझे किसी कार्यवश बार से कैराना में वकालत करने के प्रमाणपत्र की आवश्यकता पडी ।मैने साथी अधिवक्ता श्री अनिल कुमार शर्मा से कहा कि भाईसाहब से ये सार्टिफिकेट बनवा लाना। बाबू कौशल प्रसाद सिद्धान्तों के इतने पक्के थे कि उन्होंने ये कहते हुये प्रमाणपत्र देने को मना कर दिया कि राकेश तो मुजफ्फरनगर वकालत करता है।
बार का हित सभी संबंधों से परे था। वाकई बाबू कौशल प्रसाद जी द्वारा बारहित में किये गए कार्य अतुलनीय है।शायद ही ऐसी शख्सियत बार को दौबारा मिले।
सादर अभिवादन, नमन।
राकेश कुमार कौशिक
एडवोकेट
जिला कोर्ट शामली स्थित कैराना
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