" विद्वान ,निष्पक्ष एवं समर्पित अधिवक्ता बाबू कौशल प्रसाद "-संस्मरण - सत्यपाल सिंह एडवोकेट


विचार लो कि मर्त्य हो ,न मृत्यु से डरो कभी .

मरो परन्तु यो मरो ,याद जो करे सभी .

              कितनी सार्थक एवं प्रेरणादायक हैं राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त की ये पंक्तियाँ ,जो हमें परोपकार की भावना के लिए प्रेरित करती हैं .यही परोपकार तथा समर्पण की भावना बाबू कौशल प्रसाद कौशिक के व्यक्तित्व में स्पष्ट झलकती थी .वह बार एसोसिएशन कैराना के अध्यक्ष पद पर कई वर्षों तक कार्यरत रहे .मुझे भी उनके साथ सचिव पद पर कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ .

             बात वर्ष 1980 की है ,मैंने अपनी वकालत कैराना में प्रारम्भ की .कुछ चंद अधिवक्ताओं के पास ही चैम्बर्स की सुविधा उपलब्ध थी ,शेष अधिवक्ता खुले मैदान में पेड़ के नीचे बैठते थे .कैराना में केवल दो ही कोर्ट कार्यरत थी .एक मुंसिफ़ तथा दूसरी अतिरिक्त मुंसिफ़ की ,एस डी एम कैराना भी जिला मुख्यालय मुजफ्फरनगर में ही बैठते थे .कोतवाली शामली ,कैराना ,कांधला एवं थानाभवन आदि थानों के केवल केस ही यहाँ दायर हो सकते थे .सभी थानों के पुलिस चालान मुजफ्फरनगर ही थे अन्य न्यायालयों की स्थापना हेतु बार एसोसिएशन कैराना के सभी सम्मानित अधिवक्तागण एसोसिएशन के माध्यम से हमेशा प्रयत्नशील रहते थे .न्यायालयों की स्थापना हेतु बार के सदस्यों का जो भी निर्देश तत्कालीन कार्यकारिणी को मिलता था , उसी के अनुरूप कार्य करने में कोई विलम्ब नहीं होता था .अध्यक्ष पद की बागडोर बाबू कौशल प्रसाद जी के हाथ में थी , उन्होंने अपनी वकालत की परवाह न करते हुए बार हित के कार्यों को सदैव सर्वोपरि समझा .

                 पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाई कोर्ट बेंच की स्थापना हेतु संघर्ष समिति आंदोलन कर रही थी . आंदोलन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में वर्ष 1982-83 में लगातार तीन माह तक पूर्ण हड़ताल रही ,कचहरी में किसी भी तरह का कोई कार्य नहीं हुआ , तब तक उत्तराखण्ड पृथक राज्य नहीं बना था इसलिए वे जिले भी हमारे साथ ही थे .इसी दौरान संघर्ष समिति [मेरठ] का प्रस्ताव आया कि आंदोलन को अधिक तेज करने के लिए तहसील व जिला स्तर ट्रेजरी को बंद कराया जाये . कैराना बार एसोसिएशन के सभी पदाधिकारी तथा सदस्य गण जब सब-ट्रेजरी बंद कराने पहुंचे तो तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देश पर पुलिस ने चार अधिवक्ताओं को गिरफ्तार करके उनके विरुद्ध थाना कैराना पर मुकदमा दर्ज करा दिया था जो कई वर्षों बाद साक्ष्य के अभाव में खारिज हो गया था .इसी समय बार एसोसिएशन कैराना में सिविल जजी की स्थापना हेतु संघर्ष चल रहा था , इसी दौरान मई 1991 में पता चला कि हाई कोर्ट इलाहाबाद के एडमिनिस्ट्रेटिव जज पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दौरे पर हैं .किसी आवश्यक कार्य से वे मुजफ्फरनगर पी डब्ल्यू डी के गेस्ट हाउस पर प्रातः 8 बजे थोड़े समय के लिए रुकेंगे ,मुजफ्फरनगर के अधिवक्ता भी उनसे मिलने का कार्यक्रम बना रहे हैं .श्री कौशल प्रसाद जी ने आनन्-फानन में कार्यकारिणी की बैठक बुलाई ,जिसमें निर्णय हुआ कि हमारा भी एक शिष्ट प्रतिनिधिमण्डल माननीय ए जे साहब से मिले और उनसे विनम्र निवेदन करे की कैराना में शीघ्र सिविल जजी की स्थापना की जाये .इसी सिलसिले में अगले दिन हम श्री कौशल प्रसाद ,सत्यपाल सिंह ,श्री चौधरी कटार सिंह ,श्री अमरनाथ शर्मा व श्री अरविन्द कुमार शर्मा एडवोकेट्स गेस्ट हाउस पहुंचे और ए जे साहब के सम्मुख सिविल जजी का प्रस्ताव रखा .उन्होंने कहा-" यह कार्य इतना आसान नहीं है ,इसकी प्रक्रिया में समय लगेगा तथा सरकार का सहयोग भी अपेक्षित है ,जो कोर्ट मैं आपको दे सकता हूँ ,उसके बारे में आप कुछ भी नहीं कह रहे हैं ,हमारी विनती पर उन्होंने कैराना में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट की स्थापना का आदेश कर दिया और कहा कि कल से आपके यहाँ अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट का कार्य प्रारम्भ हो जायेगा .अगले दिन ही दिनांक 06.05.1991को श्री ज्ञानेन्द्र कुमार जी ने ए सी जे एम कैराना का कार्यभार ग्रहण कर लिया ,ऐसे अधिकारी वास्तव में वंदनीय हैं .बार एसोसिएशन कैराना के पूर्व एवं वर्तमान पदाधिकारियों के सतत व् अथक प्रयासों से आज हम कैराना में जिला स्तर पर वकालत कर रहे हैं ,यह बार एसोसिएशन की बहुत बड़ी उपलब्धि है .

                वकालत के अतिरिक्त कौशिक साहब कविता में भी रूचि रखते थे .वह अपने प्रिय दोस्त कवि  एडवोकेट रघुनाथ प्यासा के साथ कवि सम्मेलनों में शिरकत भी करते रहते थे .पेश हैं उनकी कविता की कुछ पंक्तियां :-

   "दीवाली के दिन भाइयों रखो किवाड़ें बंद 

   लक्ष्मी जी के नाम पर यदि घुस गए लक्ष्मीचन्द 

  माल सब ले जायेंगे ."

 " सास-बहू में ठन गई एक रात एक बात ,

  बात बात में बढ़ गई बिना बात की बात 

   खटौला यहीं बिछेगा ."

                बाबू कौशल प्रसाद आज हमारे बीच नहीं हैं .उनका स्वर्गवास दिनांक 01 मार्च 2015 को हो गया था .ऐसे आशावादी , प्रयत्नशील एवं सकारात्मक दृष्टिकोण वाले महापुरुष बहुत ही कम मिलते हैं .कैराना कचहरी के विकास में उनका जो सहयोग हमें मिला है ,वह वास्तव में प्रशंसनीय है .

सत्यपाल सिंह 

  वरिष्ठ अधिवक्ता 

पूर्व सचिव बार एसोसिएशन 

कैराना 

काउंसिल ,उत्तर रेलवे 

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ,जनपद शामली 

उत्तर प्रदेश


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