माता पिता के अवदान अमूल्य होते हैं, हम कभी उनसे उऋण नहीं हो सकते-प्रो. मंगला रानी

 


प्रो. मंगला रानी

'मनीषा', शारदापुरम्

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना

प्रोफेसर्स कॉलोनी

कंकड़बाग, पटना- 20

माता पिता के अवदान अमूल्य होते हैं, हम कभी उनसे उऋण नहीं हो सकते। डॉ. शिखा कौशिक एवं शालिनी कौशिक जी ऐसी भाग्यशाली बेटियाँ हैं, जिन्हें ईश्वर से अपने विद्वान पिता के लिये कुछ करने की प्रेरणा मिली है। जन्म देने वालों के सपनों को आगे बढ़ाने में, उनके कुछ छूट गये कामों को पूर्णता देने में यदि हम दो कदम भी आगे बढ़ते हैं, ईश्वर मार्ग प्रशस्त करता चलता है। आपकी पुस्तक 'कंटक पथ पर नंगे पाँव' साहित्य एवं समाज के लिये अवश्य ही वरदान साबित होगी, साथ ही पीढ़ियों के लिये प्रेरणा-स्रोत भी। डॉ. शिखा को मंचों पर बोलते हुए मुग्ध भाव से सुन चुकी हूँ, उनकी लिखी पुस्तक 'नूतन रामायण' पढ़ने का अवसर पा चुकी हूँ.... अब आपके पूज्य पिता बाबू कौशल प्रसाद जी के प्रति आपकी भावनाएँ और उनके अधिवक्ता रूप में किये गये आदर्श कार्य समझने का अवसर मिल रहा है।

आपके काम मुझे अतिशय आनंदित करते रहे हैं, चाहे वह पुस्तकालय का निर्माण हो अथवा निरंतर शोध । आने वाली इस पुस्तक की आतुर प्रतीक्षा है।

मेरी अशेष मंगलकामनाएँ आप दोनों स्वीकार करें।

मंगला रानी

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