आज का युवा !




जागरूक 
सचेत 
सतर्क  
आज का युवा !
जागरूक अधिकारों के लिए 
सचेत धोखाधड़ी से 
सतर्क दुश्मनों से 
आज का युवा !
साथ ही 
कृतघ्न 
उपेक्षावान 
लापरवाह 
भी 
आज का युवा !
कृतघ्न बड़ों की सेवा में 
उपेक्षावान देश हित करने में 
लापरवाह समाज के प्रति 
जीवन के धवल स्वरुप के संग 
ये स्याह लबादा ओढ़े है ,
खुद की कमियों से हो असफल 
ये बैठ ज़माना कोसे है .

शालिनी कौशिक 
 [कौशल ]

टिप्पणियाँ

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (27-04-2014) को मन से उभरे जज़्बात (चर्चा मंच-1595) में अद्यतन लिंक पर भी है!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
Anita ने कहा…
जो सचेत है वह लापरवाह तो नहीं हो सकता..हाँ उसका अंदाज अलग हो सकता है..

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