दोनों ने ही अलख जगाई देश की खातिर मरने की .




एक की लाठी सत्य अहिंसा एक मूर्ति सादगी की,

दोनों ने ही अलख जगाई देश की खातिर मरने की .

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जेल में जाते बापू बढ़कर सहते मार अहिंसा में ,

आखिर में आवाज़ बुलंद की कुछ करने या मरने की .

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लाल बहादुर सेनानी थे गाँधी जी से थे प्रेरित ,

देश प्रेम में छोड़ के शिक्षा थामी डोर आज़ादी की .

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सत्य अहिंसा की लाठी ले फिरंगियों को भगा दिया ,

बापू ने अपनी लाठी से नीव जमाई भारत की .

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आज़ादी के लिए लड़े वे देश का नव निर्माण किया ,

सर्व सम्मति से ही संभाली कुर्सी प्रधानमंत्री की .

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मिटे गुलामी देश की अपने बढ़ें सभी मिलकर आगे ,

स्व-प्रयत्नों से दी है बढ़कर साँस हमें आज़ादी की .

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दृढ निश्चय से इन दोनों ने देश का सफल नेतृत्व किया

ऐसी विभूतियाँ दी हैं हमको कृतज्ञ दुनिया इस दिन की .

शालिनी कौशिक

[कौशल]

टिप्पणियाँ

Darshan jangra ने कहा…
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा - बुधवार - 2/10/2013 को
जो जनता के लिए लिखेगा, वही इतिहास में बना रहेगा- हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः28 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


बहुत ही सुन्दर और प्रभावी रचना..
virendra sharma ने कहा…
दोनों विभूतियों का भारतीय समाज में भारत धर्मी समाज में परम आदरनीय स्थान है और रहेगा। सुन्दर आलेख।
बहुत सुन्दर और प्रभावी रचना
नवीनतम पोस्ट मिट्टी का खिलौना !
नई पोस्ट साधू या शैतान
Dr ajay yadav ने कहा…
आदरणीया
सादर प्रणाम |
सुंदर रचना
दोनों राष्ट्र नायको कों शत शत नमन |
“महात्मा गाँधी :एक महान विचारक !”
नमन है दोनों महान विभूतियों को ...
भावपूर्ण रचना ...
दोनो को हमारा सादर प्रणाम।
अच्छी रचना के लिए आपको साधुवाद।

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