कर जाता है....
कर जाता है.... दिखाता मुख की सुन्दरता,टूट जाता इक झटके में, वहम हम रखते हैं जितने खत्म उनको कर जाता है. है हमने जब भी ये चाहा,करें पूरे वादे अपने, दिखा कर अक्स हमको ये, दफ़न उनको कर जाता है. करें हम वादे कितने भी,नहीं पूरे होते ऐसे, दिखा कर असलियत हमको, जुबां ये बंद कर जाता है कहें वो आगे बढ़ हमसे ,करो मिलने का तुम वादा, बांध हमको मजबूरी में, दगा उनको दे जाता है. शालिनी कौशिक http://shalinikaushik2.blogspot.com --
टिप्पणियाँ
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
जब देखा न बच्चों ने घर में बड़ों का आदर ,
उन पर न बड़ों की कभी भी सीख चली है .
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आदर्शों को पटरी से हमने ही है उतारा,
उतरी जो पटरियों से न वो रेल चली है .
बहुत सशक्त रचना -कर्तम सो भोगतम ,
करम प्रधान विश्व करि राखा ,
जो जस करइ सो तस फल चाखा।
जब देखा न बच्चों ने घर में बड़ों का आदर ,
उन पर न बड़ों की कभी भी सीख चली है .
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आदर्शों को पटरी से हमने ही है उतारा,
उतरी जो पटरियों से न वो रेल चली है .
बहुत सशक्त रचना -कर्तम सो भोगतम ,
करम प्रधान विश्व करि राखा ,
जो जस करइ सो तस फल चाखा।
औलाद की माँ-बाप से न प्रीत चली है ...
आज का दौर है ... तेज़ी का दौर .. माँ बाप की रफ़्तार धीमी है आज के युवा वर्ग के लिए ..