कर जाता है....
कर जाता है.... दिखाता मुख की सुन्दरता,टूट जाता इक झटके में, वहम हम रखते हैं जितने खत्म उनको कर जाता है. है हमने जब भी ये चाहा,करें पूरे वादे अपने, दिखा कर अक्स हमको ये, दफ़न उनको कर जाता है. करें हम वादे कितने भी,नहीं पूरे होते ऐसे, दिखा कर असलियत हमको, जुबां ये बंद कर जाता है कहें वो आगे बढ़ हमसे ,करो मिलने का तुम वादा, बांध हमको मजबूरी में, दगा उनको दे जाता है. शालिनी कौशिक http://shalinikaushik2.blogspot.com --
टिप्पणियाँ
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
अभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!
बंदिश तो शायद आयद न हो पाए लेकिन जन शिक्षण ज़रूरी है। क्या गंगा में नहाने से पाप कटते हैं। ये सवाल जगद्गुरुकृपालु महराज जी से काशी की विद्वत परिषद् ने पूछा था -उनका उत्तर इस प्राकर था -
एक बोतल में पेशाब (मूत्र )भरके ,ढक्कन लगाके उसे गंगा में एक माह पड़ा रहने दो। क्या अब यह पवित्र हो जायेगी। भाव यहाँ यह है जब तक अन्दर की गंदगी (विकार )दूर नहीं होंगें बाहर के कर्म काण्ड से शरीर की यात्रा से कुछ होने वाला नहीं है। फिर चाहे वह कुम्भ स्नान हो या कांवड़ियों का रेला।
एक बोतल में पेशाब (मूत्र )भरके ,ढक्कन लगाके उसे गंगा में एक माह पड़ा रहने दो। क्या अब यह पवित्र हो जायेगी। भाव यहाँ यह है जब तक अन्दर की गंदगी (विकार )दूर नहीं होंगें बाहर के कर्म काण्ड से शरीर की यात्रा से कुछ होने वाला नहीं है। फिर चाहे वह कुम्भ स्नान हो या कांवड़ियों का रेला।
ऐसी आस्था किस काम की
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